उप्र मृतक आश्रित सेवा नियमावली का नियम 2(सी)(3) असंवैधानिक घोषित 

लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है कि मृतक आश्रित कोटे के तहत विवाहित पुत्रियों को भी नियुक्ति का अधिकार है। अदालत ने उप्र मृतक आश्रित सेवा नियमावली के नियम 2(सी)(3) को असंवैधानिक घोषित करते हुए उसे रद कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि विवाहित पुत्र नौकरी पा सकता है तो विवाहित पुत्री को नौकरी देने से इनकार करने का औचित्य नहीं है।

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने श्रीमती विमला श्रीवास्तव की याचिका पर शुक्रवार को दिया। राजस्व विभाग में कार्यरत याची के पति की सेवाकाल में मृत्यु हो गई थी। याची की पुत्री विवाहित है जिसने पिता के आश्रित के रूप में नियुक्ति की मांग की थी। सेवा नियमावली में पुत्र व अविवाहित पुत्री व विधवा को नौकरी देने का नियम है। कोर्ट ने अविवाहित शब्द को अनुच्छेद 14 व 15 के विपरीत माना और कहा कि विवाहित को नियुक्ति न देना लिंग भेद करना है जिसे संविधान में प्रतिबंधित किया गया है। कोर्ट ने कहा है कि मृतक आश्रित कोटे के तहत पुत्री को शादीशुदा होने के आधार पर नियुक्ति देने से इनकार नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही कोर्ट ने आजमगढ़ के जिलाधिकारी द्वारा विवाहित पुत्री को नियुक्ति देने से इनकार करने के आदेश को रद कर दिया।