भारत की नई वाहन गुणवत्ता, विशेषकर दोषों एवं खराबी से सम्बन्धित विषयों में विगत पांच वर्षों के भीतर काफी महत्पूर्ण सुधार आया है। यह जानकारी आज जारी जे.डी पावर-2015 इण्डिया की क्वालिटी स्टडीैड  (आईक्यूएस) में दी गई है।

यह अध्ययन लगातार विगत 19 वर्षों से किया जा रहा है, जिसमें वाहन धारकों की परेशानियों एवं अपने नए वाहनों के लिए पहले दो से छह माह के अनुभवों को शामिल करने के साथ ही 200 से भी अधिक  समस्याओं के लक्षणों जिसमें आठ प्रकार के वाहन श्रेणियों ( रिपोर्ट की गई समस्याओं की आवृति के क्रमानुसार): इंजन एण्ड ट्रांसमिशन, एचवीएसी, चालन अनुभव, वाहन के बाहरी हिस्सों, सुविधओं, नियन्त्रणों एवं प्रदर्शन, वाहन के भीतरी हिस्से, सीट्स एवं आॅडियो, मनोरंजन एवं नेविगेशन को शामिल किया गया। सभी समस्याओं को प्रति 100 वाहनों (पीपी 100) के अनुसार समराजइज किया गया, जिसमें निम्नतम पीपी 100 में न्यूनतम समस्याओं की शिकायतंे मिली वही उच्चतम प्राथमिक गुणवत्ताओं के बारे में भी ग्राहकों ने बताया। 

वर्ष 2015 मंे इस उद्योग का 96 पीपी 100 रहा जबकि यह वर्ष 2011 में यह 22 पीपी 100 से कम था, दोष/खराबी से सम्बन्धित समस्याओं की शिकायत कुल पीपी 100 की 52 रहीं वहीं वर्ष 2011 में पीपी 100 में यह 26 ही थी। डिजाइन से सम्बन्धित समस्याएं जैसे कि वाहन में पेश सुविधाओं  के उपयोग में परेशानी एवं अत्यधिक ईंधन की खपत का आंकड़ा पीपी 100 में से 36 रहा जबकि वर्ष 2011 में यह कम अंतर से पीपी 100 से 38 रहा।

इस अवसर पर जे.डी. पावर सिंगापुर के कार्यकारी निदेशक श्री मोहित अरोड़ा ने कहा ‘‘ कुल मिला कर इस उद्योग ने वाहनों की गुणवत्ता सुधारने में उल्लेखनीय सुधार किया है वहीं इसके दोष एवं खराबियों में काफी कमी आई है।‘‘ उन्होंने कहा कि ‘‘इस प्रकार के सुधारों से भारतीय आॅटो बाजार की निर्माण क्षमता का स्पष्ट रूप से प्रदर्शन देखने को मिलता है।‘‘