नई दिल्‍ली: विश्‍व मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन मामले में विकसित देशों को आड़े हाथ लिया था। पेरिस क्‍लाइमेट चेंज समिट में मोदी ने दो-टूक लहजे में कहा था कि इस मामले में विकसित देश अपनी जिम्‍मेदारी से नहीं बच सकते। उन्‍होंने कहा था कि विकसित देश यदि कार्बन उत्‍सर्जन कम करने के मामले में विकासशील देशों पर ही दबाब डालते रहे तो यह नैतिक रूप से गलत होगा। मोदी की एक मंत्री ही उनके इस रुख से अलग राय जाहिर कर रही हैं।

महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा, ‘जलवायु परिवर्तन के मामले में हम केवल पश्चिमी देशों को ही दोषी नही ठहरा सकते।  पर्यावरण को नष्‍ट करने के भारत भी प्रमुख रूप से जिम्‍मेदार है।’ उन्‍होंने कहा कि भारत, चीन और ब्राजील मीथेन के प्रमुख उत्‍पादक है। इसके बावजूद हम इस बारे में नहीं सोच रहे। पर्यावरण खराब करने के लिहाज से मीथेन को कार्बन डाइ आक्‍साइड से करीब 26 गुना ज्‍यादा नुकसान पहुंचाने वाली है।

मेनका गांधी चेन्‍नई में जोरदार बारिश के कारण पैदा हुई बाढ़ जैसी स्थिति और इसके जलवायु परिवर्तन से संबंध के मामले में बोल रही थी। उन्‍होंने कहा कि चेन्‍नई के मामले को भी ग्‍लोबल वार्मिंग का परिणाम माना जा सकता है।