कुुआलालंपुर। भारत और मलेशिया ने साइबर सुरक्षा, प्रशासन और सांस्कृतिक आदान प्रदान के क्षेत्र में तीन करार किए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मलेशिया के प्रधानमंत्री दातो सिरी नजीब तुन रजाक के बीच सोमवार को द्विपक्षीय बैठक में ये फैसले किए गए। इसमें आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से मुकाबले में मिल कर काम करने का ऐलान किया। बैठक के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा कि धर्म और संस्कृति के मूल्यों पर आधारित हमारे संबंध लोकतंत्र एवं विविधता में परिभाषित हुए हैं। हमने एक गतिशील आर्थिक साझेदारी स्थापित की है। दोनों देश इस साझेदारी को नई गति प्रदान करने के लिये नवस्फूर्ति से काम करेंगे।

रजाक ने मोदी को मैन ऑफ एक्शन बताते हुए कहा कि मलेशिया भी भारत के साथ अपने विविध आयामी संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने की इच्छा रखता है। उन्होंने कहा कि इसकी अपार संभावनाएं हैं। मोदी ने सुरक्षा सहयोग के लिए मलेशिया की सराहना करते हुए कहा कि यह हमारी सुरक्षा चुनौतियों से निपटने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हैं। हम इस क्षेत्र में अपने सहयोग को और प्रगाढ़ बनाएंगे। उन्होंने विश्व के अनेक देशों में आतंकवादी घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि इस बात से आतंकवाद के विश्वभर के लिये खतरा होने की बात साफ हो गई है।

प्रधानमंत्री ने उग्रवाद एवं मजहबी कट्टरपन के मुकाबले तथा आतंकवाद एवं मजहब को अलग करके इस्लाम के वास्तविक मूल्यों को आगे लाने में रजाक के नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने कहा कि आतंकवाद से मुकाबले के वैश्विक प्रयासों में यह एक अहम योगदान है। मलेशिया के साथ रक्षा सहयोग को अधिक मजबूत बनाने का इरादा जताते हुए मोदी ने समुद्री सुरक्षा और आपदा राहत के लिये अधिक समन्वय से काम करने की घोषणा की। उन्होंने संयुक्त सैन्य अभ्यासों को आगे बढ़ाने और एसयू-30 फोरम की स्थापना की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि रक्षा उपकरणों की आपूर्ति और प्रशिक्षण में भी सहयोग बढ़ाया जाएगा।