अर्थ समिट में ग्रामीण विकास को तकनीक से गति देने के सशक्त संदेश
गांधीनगर
कृषि और ग्रामीण विकास के लिए राष्ट्रीय बैंक (नाबार्ड) तथा इंटरनेट एवं मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई ) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित दो दिवसीय अर्थ समिट 2025-26 का गांधीनगर संस्करण आज महात्मा मंदिर कन्वेंशन एवं प्रदर्शनी केंद्र में संपन्न हुआ।
समिट का विषय ‘वैश्विक परिवर्तन के लिए ग्रामीण नवाचार को सशक्त बनाना’ था, जिसने नवाचारकर्ताओं, एफपीओ, एग्री-स्टार्टअप्स, महिला उद्यमियों, ग्रामीण सहकारी बैंकों, सामुदायिक संस्थानों, नीति-निर्माताओं और उद्योग जगत के नेताओं को एक साथ लाया। गांधीनगर संस्करण में ग्रामीण विकास को गति देने और सामुदायिक नेतृत्व वाले विकास को समर्थन देने में सहकारिताओं की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया गया।
सतत ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं के निर्माण पर आयोजित फायरसाइड चैट में नाबार्ड के अध्यक्ष श्री शाजी के.वी. ने भारत के सहकारी क्षेत्र को मजबूत करने की चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा,
“सहकारिताएँ भारत जैसे देश में सतत और समान विकास हासिल करने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं, जहाँ हर क्षेत्र विकास के अलग-अलग चरण में है। भारत में अब 8.5 लाख से अधिक सहकारी समितियाँ हैं, जिनके लगभग 30 करोड़ सदस्य हैं अर्थात प्रत्येक चार में से एक भारतीय। फिर भी, इसकी उपयोगिता को कम आंका गया है और इसकी क्षमता का अभी भी पूरा उपयोग नहीं हुआ है।” आगे की दिशा पर बात करते हुए उन्होंने शासन को आधुनिक बनाने और समावेशन को मजबूत करने के महत्व पर जोर दिया।
भारत में स्मार्ट फार्मिंग से आगे बढ़कर वास्तविक रूप से लचीली कृषि की दिशा में हो रहे बदलाव में एआई, रोबोटिक्स और डेटा-आधारित समाधानों की भूमिका पर आयोजित पैनल चर्चा के दौरान, नाबार्ड के उप प्रबंध निदेशक श्री गोवर्धन सिंह रावत ने कहा कि एग्री 5.0 को गति देने का प्रमुख अवसर खेतों, किसानों और कृषि प्रणालियों के लिए एक मजबूत, संरचित डिजिटल डेटा आधार तैयार करने में निहित है। उन्होंने उल्लेख किया कि सरकार का एग्री-स्टैक और डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं, जो डेटा के मानकीकरण में सहायक हैं और बड़े पैमाने पर डिजिटल समाधान विकसित करने में सक्षम बनाते हैं। उन्होंने आगे कहा कि जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे, यह सुनिश्चित करना आवश्यक होगा कि उभरती प्रौद्योगिकियाँ सस्ती और उपयोगकर्ता-अनुकूल बनी रहें, जिससे इनका जमीनी स्तर पर व्यापक रूप से अपनाया जा सके।
एफपीओ को सूचना के माध्यम से सशक्त बनाने पर आधारित एक सत्र को संबोधित करते हुए, नाबार्ड के उप प्रबंध निदेशक डॉ. अजय कुमार सूद ने इस बात पर जोर दिया कि कृषि-डेटा विनिमय की पूरी क्षमता को प्राप्त करने के लिए किसानों, बैंकों और सरकारी एजेंसियों सहित सभी प्रमुख हितधारकों को एक साथ लाने वाला एक एकीकृत डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने सहकार सारथी की तर्ज पर एक ऐप विकसित करने की अनुशंसा करते हुए कहा कि एफपीओ साथी जैसी कोई समाधान प्रणाली एफपीओ के पास पहले से उपलब्ध लगभग 300 डेटा बिंदुओं को स्थिर रिकॉर्ड से एक गतिशील और रियल-टाइम संसाधन में बदल सकती है।
गांधीनगर अर्थ समिट में रूरल इनोवेशन एक्सपो एक प्रमुख आकर्षण के रूप में उभरा, जिसने तकनीक-आधारित उद्यमिता की तेज़ प्रगति को प्रदर्शित किया। इसमें 90 स्टॉल शामिल थे, जिनमें एफपीओ, सहकारी संस्थाएँ और एग्रीटेक नवप्रवर्तकों की मजबूत भागीदारी रही। प्रदर्शकों ने यह उजागर किया कि डिजिटल उपकरण, बेहतर बाज़ार संपर्क और आधुनिक कृषि-समाधान ग्रामीण समुदायों में आर्थिक अवसर और परिचालन दक्षता को किस तरह तेज़ी से बढ़ा रहे हैं। प्रदर्शनी में जनजातीय और महिलाओं द्वारा संचालित उद्यमों की उल्लेखनीय भागीदारी भी देखने को मिली, जिसने समिट की समावेशी विकास के प्रति प्रतिबद्धता को और मजबूत किया।
एक्सपो ने भारत सरकार के माननीय केंद्रीय गृहमंत्री एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह की उस दृष्टि को प्रतिबिंबित किया, जिन्होंने समिट के उद्घाटन संबोधन में यह जोर देकर कहा था कि भारत के गांवों का विकास, देश की प्रगति का मूल आधार है।
अर्थ समिट 2025-26 को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय, पंचायती राज मंत्रालय, तथा भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय सहित प्रमुख राष्ट्रीय संस्थानों का सहयोग प्राप्त है। यह अंतर-मंत्रालयी सहयोग इस बात को रेखांकित करता है कि तकनीक, नवाचार और नीतिगत समन्वय के माध्यम से ग्रामीण विकास को सशक्त करने के लिए देश एक एकीकृत राष्ट्रीय प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ रहा है।








