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अशांति फैलाना चाहते थे हार्दिक

अहमदाबाद: भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच 18 अक्टूबर को राजकोट में खेले गए वन-डे से पहले पाटीदार आंदोलन की अगुवाई करने वाले हार्दिक पटेल हिंसा और अशांति फैलाना चाहते थे।

इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार, अहमदाबाद पुलिस के पास हार्दिक पटेल और उसके सहयोगियों की फोन पर हुई बातचीत के टेप हैं, जिसमें वे लोग कथित तौर पर हाइवे को ब्लॉक करने की प्लानिंग करते सुनाई दे रहे हैं। इसके लिए कथित तौर पर सड़कों पर सोडा बोतलें फोड़ने, ट्रक खड़े करने और टायर जलाने की बात करते सुनाई पड़ रहे हैं।

पाटीदार अनामत आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल और उनके कुछ साथियों को स्टेडियम जाने की कोशिश करते समय गिरफ्तार कर लिया गया था। वह पटेलों के लिए आरक्षण की मांग कर रहे हैं। उन्होंने मैच के दौरान प्रदर्शन करने की धमकी दी थी और कहा था कि दोनों टीमों को स्टेडियम में प्रवेश नहीं करने देंगे। उनकी धमकी से परेशान प्रशासन से राजकोट स्टेडियम में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की थी।

यही नहीं अहमदाबाद में 25 अगस्त को हुई रैली में हुई हिंसा के आरोपियों की फोन कनवर्सेशन भी पुलिस के पास है, जिसमें ये आरोपी कथित तौर पर घंटेभर में गुजरात को जला देने, सरकार का तख्ता पलटने और ट्रेनें जलाने की बात धमकी दे रहे हैं। एक अन्य रिकॉर्डिंग में हार्दिक का साथी किसी को गोलियां तैयार रखने और गोली चलाने की बात कहता सुनाई पड़ रहा है।

जुलाई 2015 में शुरू हुआ वह आंदोलन है जो पाटीदार समाज को गुजरात में सरकारी नौकरियों व अन्य जगहों पर ओबीसी का स्टेटस चाहते हैं। गुजरात में 27 प्रतिशत सीटें ओबीसी के लिए रिजर्व हैं। वहीं अनुसूचित जाति वर्ग के लिए 15 प्रतिशत, जनजाति के लिए 49.5 प्रतिशत सीटें आरक्ष‍ित हैं। ओबीसी में 146 कम्युनिटी पहले से लिस्टेड हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 1992 से अधिकतम 50 प्रतिशत तक के आरक्षण की सीमा निर्धारित कर रखी है।

एक स्थानीय अदालत ने पटेलों को आरक्षण के लिए आंदोलन चला रहे हार्दिक पटेल के तीन सहयोगियों को देशद्रोह के एक मामले में सात दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है। पुलिस ने याचिका में कहा कि वह जानना चाहती है कि गुजरात में आरक्षण आंदोलन को कौन समर्थन दे रहा है और इसको फंड कहां से मुहैया कराया जा रहा है। मेट्रोपोलिटन कोर्ट के मजिस्ट्रेट एस जे ब्रह्मभट्ट ने चिराग पटेल, केतन पटेल और दिनेश पटेल को अपराध शाखा की हिरासत में भेज दिया। ये तीनों पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (पीएएएस) के सदस्य हैं। अपनी याचिका में अपराध शाखा ने आरोपियों के 14 दिन के हिरासत की मांग की लेकिन अदालत ने सात दिन की हिरासत मंजूर की।

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