दारूल उलूम निजामिया फरंगी महल में ‘‘शुहादाये दीने ह़क़ व इस्लाहे़ माआशरह’’ के तह़त जलसा

लखनऊ:इस्लाम एक मुकम्मल दीन है और जिन्दगी गुजारने का इस में एक पूणतः निजाम पेश किया गया है और कयामत तक के लिए इस निजाम को खुदा पाक की तरफ से लागू किया गया है। मुहम्मद साहब की राहनुमाई में सहाबाक्राम रजि0 ने इसी जिन्दगी के निजाम को अपनी जिन्दगी में जारी किया और पूरी तरह से उसको कुबूल किया जिसके परिणाम में एक नेक और अच्छा इस्लामी समाज बना।

इन विचारों को मौलाना मुहम्मद सुफयान निजामी ने प्रकट किया वह आज इस्लामिक सेन्टर आफ इण्डिया फरंगी महल के तत्वाधान में होने वाले दस दिवसीय जलसाहाय ‘‘शुहादाये दीने ह़क व इस्लाहे माआशरह’’ के अन्र्तगत दारूल उलूम फंरगी महल के मौलाना अब्दुर रशीद फरंगी महली हाल में पाँचवें जलसे को सम्बोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि खुदा पाक ने तमाम मखलूक में इंसानों को सबसे उच्च बनाया उसको अकल व तमीज़ की नेमत अता की ताकि वह अच्छाई व बुराई में फर्क करे, इल्म व फिक्र की दौलत से नवाजा ताकि वह खुदा पाक की मखलूक़ में विचार विमर्श करे और अपने अंदर सुधार का जज्बा उभारे। इंसानों को खुदा पाक ने कई हैसियत से इज्जत और बड़ाई देकर अपनी बहुत सी मखलूक़ पर फजीलत दी। जिन्होने दुनिया में हक़ को कुबूल करके अपनी अच्छाई और इंसानी करामत को बाक़ी रखा। जिसका जो हक़ था उसके हक़ को पूरा अदा किया। खुदा पाक ने इंसानों के दिल में प्यार व मुहब्बत रखी ताकि इंसान आपस में मिल जुल कर अच्छी जिन्दगी गुजारे। इंसानी हमदर्दी की बुनियाद पर करीबी रिश्तेदारों, गरीबों, बेकसों, मोहताजों और मजदूरों के साथ अच्छा बर्ताव करे। इस्लाम ने ऐलान किया कि तुम्हारे गुलाम तुम्हारे भाई हैं। इनके साथ भी अच्छा बर्ताव करो। 

जलसे का आरम्भ दारूल उलूम फरंगी महल के अध्यापक कारी तनवीर आलम की तिलावत कलाम पाक से हुआ। जलसा मौलाना मुहम्मद सुफयान निजामी की दुआ पर समाप्त हुआ।