लखनऊ: समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के खिलाफ आईपीएस अमिताभ ठाकुर को धमकाने के मामले में एफआईआर दर्ज कर ली गई है।

इस पहले वह आज मुलायम  सिंह के खिलाफ एऱआइआर दर्ज कराने के लिए हजरतगंज कोतवाली पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए थे। अमिताभ ठाकुर ने 10 जुलाई 2015 को सपा मुखिया मुलायम सिंह द्वारा उन्हें फोन पर धमकी देने की शिकायत की थी, जिस पर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) सोम प्रभा मिश्रा द्वारा 14 सितंबर को समुचित धाराओं में एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए गए थे।इसके बाद भी लखनऊ पुलिस द्वारा अब तक अदालत के आदेश का पालन नहीं किये जाने के खिलाफ ठाकुर ने अनिश्चितकालीन धरने पर बैठने का फैसला किया है। ठाकुर ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एस एन शुक्ला की बेंच को आश्वस्त किया था कि 30 सितंबर, 2015 को एफआइआर अवश्य दर्ज हो जाएगी। लेकिन समय सीमा खत्म होने के बाद भी जब आज सुबह तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई। अतः वह हजरतगंज थाने पर धरने पर बैठ गए थे।

आज शाम हजरतगंज कोतवाली से उन्हें सूचित किया गया कि वह जिस मुकदमे की मांग को लेकर धरने पर बैंठे हैं, वह 24 सितंबर को ही दर्ज हो गया था, इस पर उन्होंने धरना खत्म कर दिया। दोपहर बाद वह धरना समाप्त कर आला अधिकारियों के पास गए और आगे की कार्रवाई के लिए एफआइआर की कापी मांगी। हालांकि काफी उन्हें नहीं मिली लेकिन आश्वासन मिल गया है। उन्हें बताया गया कि कोर्ट के आदेश के अनुरूप सब कुछ चल रहा है लेकिन मामला बड़ों से जुड़ा होने के कारण गोपनीय रखा गया था।

अमिताभ ठाकुर ने बताया कि कल सुबह उनके आवास पर हजरतगंज थाने के सब इंस्पेक्टर कृष्णनंदन तिवारी को भेजा गया था जिन्होंने उन्हें धरने पर बैठने से मना किया था लेकिन उन्होंने और उनकी पत्नी सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर ने कहा कि यह उनका संवैधानिक अधिकार है। उन्हें इससे कोई नहीं रोक सकता है। एफआइआर दर्ज किया जाना छुपाने को लेकर ठाकुर संतुष्ट नहीं दिखे। उन्होंने कहा कि इस मामले में गोपनीय रखने जैसी कोई बात नहीं थी। अगर कोर्ट की कार्रवाई गोपनीय होती तो अब तक मेरी हत्या हो चुकी होती। उन्होंने मुलायम सिंह के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर एफआईआर की कॉपी देने को कहा है। साथ ही एफआइआर दर्ज करने का तथ्य छुपाने के मामले की जांच की मांग की है।