राज्यपाल ने SGPGI दीक्षान्त समारोह की वेशभूषा बदलने पर संतोष जताया 

लखनऊः उत्तर प्रदेश के राज्यपाल एवं कुलाध्यक्ष संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ, राम नाईक ने आज संस्थान के 20वें दीक्षान्त समारोह में डाॅ0 अभय बंग व डाॅ0 रानी बंग को डी0एस0सी0 की मानद् उपाधि देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर राज्यपाल ने चिकित्सकों को एम0डी0, एम0सी0एच0, डी0एम0 की उपाधि भी प्रदान की। समारोह में बी0एससी0 नर्सिंग, डी0एच0ए0, डिप्लोमा इन टेलीमेडिसन के साथ-साथ प्रो0 एस0आर0 नायक अवार्ड, प्रो0 आर0के0 शर्मा अवार्ड व प्रो0 एस0एस0 अग्रवाल अवार्ड भी दिये गये। इस अवसर पर पद्मभूषण डाॅ0 वी0के0 सारस्वत, सदस्य नीति आयोग भारत सरकार मुख्य अतिथि के रूप में तथा मुख्य सचिव एवं संस्थान के अध्यक्ष श्री आलोक रंजन, निदेशक संस्थान प्रो0 राकेश कपूर सहित अन्य विशिष्टगण उपस्थित थे।

राज्यपाल ने इस अवसर पर उपाधि धारकों को बधाई देते हुए कहा कि वे 25 विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति हैं और संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान इस वर्ष का पहला दीक्षान्त समारोह आयोजित कर रहा है जिसमें अंग्रेजी गाऊन के स्थान पर अंग वस्त्र का प्रयोग किया गया है जो प्रसंशनीय है। पूर्व राष्ट्रपति स्व0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम की भी यही इच्छा थी कि दीक्षान्त समारोह में भारतीय वेशभूषा का उपयोग हो। राज्यपाल ने उन्हें याद करते हुए अपनी ओर से श्रद्धांजलि अर्पित की।

श्री नाईक ने चिकित्सकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि यह उपाधि उन्हें मानव सेवा के लिए मिली है। रोगी सेवा ईश्वर सेवा से बड़ी है। चिकित्सक शहरों को छोड़कर ग्रामीण क्षेत्रों में कम जाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषज्ञ चिकित्सा सेवा की बहुत जरूरत है। अपने समय से कुछ समय निकालकर ग्रामीण क्षेत्रों की सेवा में अवश्य लगायें। मरीज की संतुष्टि आप को अधिक समाधान व आनंदित करेगी। किसी रोगी के स्वस्थ होने से जो संतुष्टि मिलती है वह अर्जित किये जाने वाले धन से कहीं अधिक होती है। उन्होंने कहा कि डाक्टर दूसरों की सेहत के साथ-साथ अपने भी स्वास्थ का ध्यान रखें। 

श्री नाईक ने कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में लगातार शोध हो रहे हैं। नये शोधों के बारे में जानकारी रखें तथा निरन्तर अभ्यास करते रहें। चिकित्सकीय सेवा में तकनीकी विज्ञान की प्रगति हुई है। बढ़ती जनसंख्या के कारण रोगी और चिकित्सकों के अनुपात में काफी अंतर है। हमारे चिकित्सकों को नयी चुनौतियों का सामना करने और चिकित्सा विज्ञान में हो रही प्रगति के साथ चलने के लिए तैयार रहना चाहिए। उच्च चिकित्सा शिक्षा के केन्द्र में अनुसंधान को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि व्यवसाय की प्रतिबद्धता से काम करें तो चुनौतियाँ भी सफलता बन सकती हैं।

राज्यपाल ने उपाधि प्राप्त चिकित्साकों का आह्वान किया कि वे ज्ञान-विज्ञान के मंदिर से बाहर निकलते समय यह ध्यान रखें कि उन्हें संस्थान का नाम रोशन करना है। जीवन में कड़ी स्पर्धा है। गुणवत्ता से आगे बढ़ा जा सकता है। गरीब रोगियों का विशेष ध्यान रखें। विश्व के उत्कृष्ट चिकित्सा संस्थानों में हमारे देश के चिकित्सा संस्थानों का नाम नहीं है। हमें यह लक्ष्य रखना होगा कि देश के मेडिकल कालेज विश्व स्तर के हों। अपने संस्थान का नाम जो पूंजी के रूप में मिला है, विचार करें कि उसका उपयोग आगे जीवन में कैसे करें। उन्होंने कहा कि चिकित्सकों का निःस्वार्थ कार्य चिकित्सा एवं स्वास्थ के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान साबित होगा।

डाॅ0 वी0के0 सारस्वत सदस्य नीति आयोग भारत सरकार ने कहा कि चिकित्सा सेवा सम्मानित सेवा है जो मरीजों के दुःख दर्द दूर करती है। अनुसंधान के नये-नये अध्याय सामने आ रहे हैं। चिकित्सा विज्ञान की प्रगति के बावजूद देश में गरीबों को समुचित इलाज नहीं मिल रहा है। विदेशों की तुलना में शिशु मृत्यु दर अभी भी ज्यादा है। उन्होंने कहा कि हमारे चिकित्सक ‘हिप्पोक्रेटिक शपथ‘ का शब्दशः अनुकरण करें। 

मुख्य सचिव एवं अध्यक्ष संस्थान श्री आलोक रंजन ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि दीक्षान्त समारोह विद्यार्थी जीवन में महत्व का दिन है। डिग्री प्राप्त करने वाले एक नये जीवन में प्रवेश कर रहे है। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान उत्तर प्रदेश के लिए गर्व का विषय है और राष्ट्रीय स्तर पर अनुसंधान एवं रोगी सेवा के लिए प्रख्यात है। राज्य सरकार संस्थान के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि संस्थान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बनाये जाने की कोशिश होनी चाहिए।

इस अवसर पर निदेशक संस्थान, प्रो0 राकेश कपूर ने भी अपने विचार रखें तथा डीन प्रो0 राजन सक्सेना ने धन्यवाद ज्ञापित किया।