लखनऊ:शाही आसफि मस्जिद में ईदुल अजहा के खुत्बे में कुर्बानी के महत्व का वर्णन करते हुए मजलिसे उलमाये हिन्द के महासचिव इमामे जुमा मौलाना सैयद कल्बे जवाद नकवी ने कहा कि दुनिया में जो भी आया है उसका परीक्षण हुआ है और उसे आजमाया गया है, लेकिन हमारे परीक्षण और संतों, धर्मी और पैगम्बरों के इमतिहान में एक बुनियादी अंतर होता है ,हमारा इमतिहान मान बढ़ाने के लिए होता है अर्थात अल्लाह जो भी हमारी परीक्षा लेता है उसका लक्ष्य होता है कि हम जैसे कम मान वाले लोगों के मान सम्मान में वृद्धि हो मगर औलिया और पैगम्बरों के इमतिहान मान बढ़ाने के लिए नहीं बल्कि मान सम्मान बताने के लिए होते है। वह तो पहले से ही बडे मान सम्मान वाले होते हैं मगर अल्लाह यह बताना चाहता है कि हमने जिसे सम्मानित किया है वह वाकई इस योग्य है कि उसे सम्मानित किया जाए । मौलाना ने कहा कि सूरतुल वष्शमस में ग्यारह कस्में खाने के बाद अल्लाह ने कहा कि जो अपने स्वयं के शुद्धिकरण क्या वह सफल है यानी जो खुद पर आत्म नियंत्रण हासिल करे वह सफल है। मौलाना ने कहा कि इसी नफ्स पर काबू पाना सबसे बड़ा मुश्किल काम है क्योंकि सारी समस्या की जड़ यही नफस है ।जनाब इब्राहीम की कुर्बानी का उद्देश्य इसी नफ्स पर काबू पाना था । इसलिए हम भी इसी उद्देश्य के लिये कुर्बानी करें ताकि अपने नफ्स का शुद्धिकरण कर सकें और हर बुराई से दूर रहें।

मौलाना ने मिना में हुए हादसे पर अफसोस व्यक्त करते हुए कहा कि मिना में जो घटना हुई है उसका जिम्मेदार शाही परिवार का एक राजकुमार है जो अपनी कार से मिना में कंकड़ मारने आया था । शहजादे  के कार मै आने के आधार पर 13 मार्गों में से 7 मार्गों को बंद कर दिया गया था जिसकी वजह से सभी हाजी एक जगह जमा हो गए और यह दर्दनाक हादसा हुआ ।शहजादे ने कार में बैठे बैठे कंकड़ मारे जिसकी वजह से बद इन्तेजामी पैदा हुई उसका वीडियो मौजूद है उस पर कार्रवाई होनी चाहिए और हज का पूरा प्रबंधन अंतरराष्ट्रीय समुदाय के हवाले होना चाहिए ताकि ऐसी बुरे प्रबंधन से हाजी सुरक्षित रहें।

मौलाना ने धर्मोपदेश के अंत में कहा कि वक्फ बचाओ आंदोलन जारी है और तब तक जारी रहेगी जब तक हमारी मांगें ना मान ली जाएं यह अलग बात है कि कभी ईद के त्यौहार, मुहर्रम के मद्देनजर और बातचीत के जरिए हल निकाले जाने को लेकर आंदोलन कुछ समय के लिए स्थगित हो जाता है। मौलाना ने कहा कि इस आंदोलन की सफलता कौम की एकता मै है तो एकजुट होकर इस आंदोलन में शामिल होते रहें।

मौलाना ने कहा अगर हमारा आंदोलन नहीं चल रहा होता तो पहले शिया वक्फ बोर्ड में आग लगती उसके बाद सन्नी वक्फ बोर्ड में आगजनी की घटना होती।हमारे वक्फ बचाओ आंदोलन से एक बड़ा लाभ यह हुआ कि शिया वक्फ बोर्ड इस तबाही से बच गया । मौलाना ने अधिक कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि गुजरात दंगों में सब से पहले वक्फ बोर्ड में आग लगी थी जिसमें वक्फ का सारा रिकॉर्ड जल गया था ।फसाद में मस्जिदें, इमामबाड़े और अन्य धार्मिक इमारतों को नुकसान पहुंचाया गया था उसके बाद जब कार्यवाही की बात की गई तो मस्जिदों और इमाम बाड़ों का रिकॉर्ड मांगा गया मगर वक्फ का सारा रिकॉर्ड आग लगने से नष्ट हो चुका था यही कोशिश उत्तर प्रदेश में कई गई थी कि जब वक्फ रिकॉर्ड ही नहीं रहेगा तो मुसलमान अपने धार्मिक स्थलों को कैसे साबित कर पाएंगे। यही कारण है कि नरेंद्र मोदी और मुलायम सिंह एक दूसरे की प्रशंसा करते रहते हैं क्योंकि दोनों की नीति एक है ।इसलिए मुसलमानों को चाहिए कि एकजुट होकर अपने विराम चिह्न की रक्षा करें। अगर अभी भी मुसलमान जागरूक न हुए तो उनकी पूंजी भी इसी तरह जलकर राख हो जाएगी।