आंचलिक विज्ञान केन्द्र में हुआ ‘हमारा वास्तु हमारी नई राह’ का विमोचन

लखनऊ। ‘बेसमेण्ट हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा में बनवाना चाहिए और बेसमेण्ट चूल्हे या तलवार के आकार का नहीं होना चाहिए। इसी तरह स्नानघर भवन के उत्तर-पूर्व में बनाना सर्वोत्तम है, जहां नहाकर आप हमेशा तरोताज़ा महसूस करेंगे। पूजाघर कभी सीढि़यों के नीचे न हो, न दक्षिण पश्चिम में और न ही शयनकक्ष में। पूजाघर इन स्थानों से हटा दीजिए और शयनकक्ष से अगर हटा नहीं सकते तो भगवान को कक्ष के उत्तर-पूर्वी हिस्से में कर दीजिये और परदा लगा दीजिए।’

ऐसी अनेक टिप्स उन लोगों को मिलीं जो यहां आंचलिक विज्ञान केन्द्र सभागार अलीगंज में वास्तुशास्त्र आधारित पुस्तक ‘हमारा वास्तु हमारी नई राह’ के विमोचन अवसर पर उपस्थित थे। युवा लेखिका सुमन अग्रवाल की इस पुस्तक का विमोचन लखनऊ विश्वविद्यालय संस्कृत व प्राकृत भाषा विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष, बृजेशकुमार शुक्ल ने किया। 

लेखिका सुमन अग्रवाल ने इस अवसर पर कहा कि ’घर-मकान या कारखाने प्रतिष्ठान के निर्माण के दौरान कुछ चीजों को बदलने से अप्रत्याशित सफलता मिल सकती है। वास्तु में ऐसी ताक़त है कि चलने में असमर्थ भी चलने लग जाए।’ उनका कहना था कि सुख समृद्धि तो हर कोई चाहता है पर उसके लिए कोशिशें दस फीसदी से भी कम लोग करते हैं। वास्तु की इस पुस्तक में उनकी हरसम्भव कोशिश रही है कि लोगों को अपने दुःख-दर्द दूर करने की ज्यादा से ज्यादा प्रामाणिक जानकारी और वास्तु के सरल-सहज उपाय मिल जाएं। ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाभ मिल सके यही यह किताब लिखने का मकसद है। लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिर्विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित इस विमोचन समारोह में मुख्यअतिथि प्रो.बृजेशकुमार शुक्ल ने कहा कि देवभाषा संस्कृत सरीखी प्राच्य भाषा हो, ज्योतिषशास्त्र हो या गणित, आज दुनिया भर के वैज्ञानिक भारतीय मनीषियों को अनेक वैज्ञानिक तथ्यों पर खरा मानते हैं, अनेक अनुसंधानों में यह बात सामने आई है और आगे भी इनपर बराबर शोध और अनुसंधान होने चाहिए ताकि, भारतीय अध्यातम और दर्शन के संग ही प्राच्य विज्ञानों का लाभ विश्व भर को हो। पुस्तक विमोचन के इस अवसर पर अनेक शिक्षक, विद्वान और गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।