लंदन: ब्रिटेन की बर्मिंघम यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी में कुरान की सबसे पुरानी पांडुलिपि के अंश मिले हैं। यह अरबी की सबसे पुरानी लिपि में लिखी गई कुरान है। आंकड़ों में बात करें तो यह कम से कम 1370 वर्ष पुरानी है और विशेषज्ञों का मानना है कि इसके लेखक शायद पैगम्बर मोहम्मद को जानते थे।

रेडियोकार्बन विश्लेषण से 95.4 प्रतिशत पुष्टि हुई कि इस पर लेखन 568 ईस्वी और 645 ईस्वी के बीच किया गया। यह परीक्षण यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड की प्रयोगशाला में किया गया। परीक्षण में पांडुलिपि को पैगम्बर मोहम्मद के दौर के आसपास का बताया गया है। पैगम्बर मोहम्मद का जीवनकाल 570 और 632 ईस्वी के बीच समझा जाता है।

दो चर्मपत्रों वाली कुरान की इस पांडुलिपि में 18 से 20 तक सूरा (अध्याय) हैं। यह शुरुआती अरबी लिपि में स्याही से लिखी गई है। यह लिपि हिजाजी कहलाती है। कुरान की यह पांडुलिपि विश्वविद्यालय के मिंगाना संग्रह का हिस्सा है, जिसमें मध्यपूर्व की पांडुलिपियों का संग्रह है। इस संग्रह को कैडबरी शोध पुस्तकालय में रखा गया है।

कैडबरी शोध पुस्तकालय के स्पेशल कलेक्शन्स में निदेशक सुसैन वॉरेल ने कहा, ‘रेडियोकार्बन डेटिंग से मिले नतीजे रोमांचक हैं। इनसे कुरान की प्राचीन लिखित प्रतियों को समझने में विशेष मदद मिलती है।’