लखनऊ: उत्तर प्रदेश सूचना आयोग के राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने शामली जनपद के ग्राम लिसाढ़ निवासी पीड़ित व्यक्ति नसीबुद्दीन को 05 लाख रूपये की मुआवजे की धनराशि न मिलने के मामले को अत्यंत गंभीरता से लेते हुए सहारनपुर के मण्डलायुक्त को जांच के आदेश दिए है।

सूचना आयुक्त ने बताया कि शामली में हुए विवाद के दौरान ग्राम-लिसाढ़, जनपद-शामली के निवासी नसीबुद्दीन का मकान क्षतिग्रस्त हुआ था जिसके एवज में राज्य सरकार की ओर से उन्हें 05 लाख रूपये की आर्थिक सहायता (मुआवजा) दिए जाने की घोषणा की गई थी। जब पीड़ित को मुआवजा नहीं मिला, तो उनके भतीजे दिलशाद उर्फ नानू ने तहसीलदार के यहां गुहार लगाई। पीड़ित व्यक्ति नसीबुद्दीन ने अपने भतीजे दिलशाद उर्फ नानू को गोद ले रखा है। तहसील से जानकारी मिली कि नसीबुद्दीन को मुआवजे की राशि दी जा चुकी है। काफी दौड़-भाग के बाद भी दिलशाद को पता नहीं चला कि उनके चाचा के नाम का मुआवजा किसे दिया गया। उन्होंने आर0टी0आई0 के जरिए पूरे मामले की सूचना मांगी, लेकिन उन्हें सूचना नहीं दी गयी।

दिलशाद ने राज्य सूचना आयोग में अपील की, आयोग में सुनवाई के दौरान मुआवजे में हुई गड़बड़ी में जिला प्रशासन की भूमिका संदिग्ध पाई गई। राज्य सूचना आयुक्त श्री हाफिज उस्मान की कोर्ट में सुनवाई के दौरान जनपद-शामली के नायब तहसीलदार ने पहले कहा कि दिलशाद पांच भाई है। मुआवजे की धनराशि को लेकर उनमें विवाद न हो इसलिए धनराशि उनके पिता नयाजुद्दीन के खाते में जमा करायी गयी है। इस पर वादी ने आयोग में जानकारी दी कि उनके पिता की मृत्यु हो चुकी है। आयोग ने नायब तहसीलदार से उस बैंक एकांउट का नम्बर मांगा जिसमें नसीबुद्दीन के मुआवजे की धनराशि जमा करायी गयी है, लेकिन नायब तहसीलदार उस बैंक के खाते का नम्बर भी आयोग को नहीं दे सके। आयोग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कमिश्नर, सहारनपुर को जांच के आदेश दिए है कि 30 दिन के अन्दर पीड़ितों को वितरित की गयी मुआवजे की धनराशि के सत्यापन संबंधी सभी अभिलेखों सहित जांच रिपोर्ट आयोग के समक्ष पेश करें।