लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने भूगर्भ जल के संरक्षण, संवर्धन तथा वर्षा जल रिर्चाजिंग हेतु सुदृढ़ व्यवस्था की है। वर्षा जल के संचयन हेतु सघन वृक्षारोपण करने तालाबों, पोखरों तथा जलाशयों के जीर्णोद्वार तथा उनकी खुदायी करके वर्षा जल का संचयन करने तथा नदी, नालों तथा झीलों के पानी को बेकार न बहने देने हेतु सुदृढ़ व्यवस्था की जा रही है। सूखते जल स्रोतों को बचाने का कार्य किया जा रहा है। प्रदेश के मुख्यमंत्री मा0 अखिलेश यादव ने भूजल संरक्षण हेतु सुदृढ़ एवं प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चित की है। उनके प्रयासों के फलस्वरूप विश्व बैंक द्वारा 50 करोड़ रूपये की धनराशि भूजल संरक्षण हेतु स्वीकृत की गयी है।

यह जानकारी प्रदेश के लघु सिंचाई एवं भूगर्भ जल विभाग के मंत्री श्री राज किशोर सिंह ने आज यहां इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठा, लखनऊ में आयोजित भूजल सप्ताह के राज्य स्तरीय समापन समारोह को बतौर मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए दी। 

उन्होंने कहा की प्रदेश में अपार जल भण्डार है, इसका संरक्षण जरूरी है। भूजल सप्ताह के अन्तर्गत विभिन्न स्कूलों में बच्चों को भूजल संरक्षण हेतु प्रेरित किया गया है। उन्होंने कहा की बच्चे हमारे देश का भविष्य हैं‘‘, इनकेे अंदर ही जागरूकता लाकर भविष्य को सुरक्षित किया जा सकता है। मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही भूजल संरक्षण योजना की सराहना भारत सरकार द्वारा भी की गयी है। उन्होंने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग करने हेतु विख्यात काटूर्निस्ट एवं प्रतिभागी बच्चों को स्मृति चिन्ह एवं पुरूस्कार प्रदान कर प्रोत्साहित किया ।

भूजल संरक्षण  एक ज्वलन्त समस्या है, जो हम सबके सामने है। भूजल के संरक्षण एवं सवंधर्न के लिए प्रदेश सरकार द्वारा रणनीति के तहत कार्यवाही की जा रही है। उन्होंने कहा कि पोखरों एवं तालाबों को चिन्हित कर उनको पुर्नजीवित करने की योजना बनाई जा रही है। उन्होंने ने कहा कि किसानों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि जलवायु के अनुसार कौन सी फसल लाभकारी होगी, जिसमें जल का क्षरण कम हो। उन्होंने जन मानस से अपील की भूजल संरक्षण को एक जन आन्दोलन के रूप में लेकर तलाबों, नदियों एवं झीलों आदि को पुर्नजीवित किया जाय। उन्होंने इस विषय पर बच्चों में जागरूकता लाये जाने पर विशेष बल दिया ।

प्रमुख सचिव ने कहा कि भूगर्भ जल का स्तर प्रत्येक वर्ष कम हो रहा है इस समस्या से निपटने जनमानस से आह्रवाहन किया कि अपने घरों में संतुलित जल का उपयोग करें। उन्होंने कहा कि अगर वर्षा जल संरक्षण नहीं होता तो भविष्य में बोरिंग तथा नलकूपों आदि से पानी निकालना सम्भव नही होगा। समारोह में महाराष्ट्र आयी हुई समाज सेविका सुश्री वैशाली जे0 खादिलकर ने भी अपने विचार व्यक्त किये।