लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यादव सिंह मामले की सीबीआई जांच का आदेश दे दिया है। नोएडा अथॉरिटी में चीफ इंजीनियर के तौर पर तैनात यादव सिंह पर आय से ज्यादा संपत्ति रखने का आरोप था। घोटाले के आरोपी इंजीनियर यादव सिंह के ठिकानों से अरबों की संपत्ति का खुलासा हुआ था। यूपी सरकार ने  शुरुआत में यादव सिंह के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की।

विपक्ष उनके खिलाफ सीबीआई जांच की मांग करता रहा, लेकिन राज्य सरकार तैयार नहीं हुई। आखिर में आज हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश देकर राज्य सरकार को तगड़ा झटका दे दिया। इसे अखिलेश सरकार के लिए बहुत बड़ा झटका बताया जा रहा है। यूपी सरकार यादव सिंह पर सीबीआई जांच नहीं कराना चाहती थी। सीबीआई जांच के दायरे में कई अधिकारी और प्रभावशाली नेता आ सकते हैं।

फरवरी में यूपी सरकार ने हाईकोर्ट में जानकारी दी है कि यादव सिंह मामले की सीबीआई जांच की जरूरत नहीं है क्योंकि इस मामले की अभी न्यायिक जांच चल रही है। यूपी सरकार ने हाईकोर्ट में दायर एक याचिका के जवाब में ये बात कही थी। जनहित याचिका में इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग की गई थी।

नवंबर 2014 में नोएडा अथॉरिटी के चेयरमैन रहे यादव सिंह के ठिकानों पर की गई आयकर विभाग की छापेमारी में अरबों रुपए की सम्पति का उजागर हुई थी। साथ ही सैकडों करोड़ की टैक्स चोरी के बारे में भी पता चला। मायावती राज में फूले फले यादव सिंह को एसपी सरकार में नोएडा की तीनों अथॉरिटी के इंजीनियरिंग विभाग का मुखिया बना दिया गया था।

आयकर विभाग ने यादव सिंह के गाजियाबाद और दिल्ली के 20 ठिकानों पर छापा मारे थे। आयकर विभाग ने खुलासा किया था कि यादव सिंह ने मायावती सरकार के दौरान अपनी पत्नी कुसुमलता, दोस्त राजेन्द्र मिनोचा और नम्रता मिनोचा को डायरेक्टर बनाकर करीब 40 कम्पनी बना डालीं और कोलकाता से बोगस शेयर बनाकर नोएडा अथॉरिर्टी से सैकडो बड़े भू-खण्ड खरीदे। बाद में उन्हें दूसरी कम्पनियों को फर्जी तरीकों से बेच दिया