लखनऊ। “उच्च न्यायालय द्वारा पुलिस के रवैये पर एक बार फिर सवालिया निशान लगाने से यह साबित हो गया कि उ0प्र0 में जंगलराज है” यह बात व्यक्त करते हुये राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश  अध्यक्ष मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा नेता, अपराधी व पुलिस गठजोड़ को समाज के लिए घातक बताते हुये पुलिस को अपनी कार्यशैली में सुधार का निर्देश  दिया है। कोर्ट ने यह चिंता भी व्यक्त की कि यदि समय रहते इसका उपाय न किया गया तो स्थिति नियंत्रण के बाहर हो जायेगी, आयेदिन पुलिस थाने में पुलिस द्वारा किये जा रहे जघन्य अपराधों के कारण जनता का विशवास  उठ गया है।  न्यायालय द्वारा चिंता व्यक्त करते हुये मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव गृह तथा सचिव नियुक्ति को पुलिस के रवैये में सुधार करते हुये जन विशवास  वापस लाने के निर्देश  देने से साफ हो गया है कि पूरे सिस्टम में खराबी आ गयी है। 

चौहान ने बताया कि प्रदेश  सरकार के कारनामों से मुख्यमंत्री व उनके प्रशासनिक अमले का इकबाल समाप्त हो गया है, प्रदेश सरकार की कार्यशैली गुण्डा, माफिया व दागी अफसरों को संरक्षण देेने वाली है जिससे समाज में आराजकता का वातावरण है। अभी चंद दिनों पहले शाहजहांपुर के पत्रकार जगेन्द्र को जिंदा जलाने की तथा बाराबंकी कोठी थाने की घटना को लोग अभी भूले भी नहीं थे कि लखनऊ के लालबाग में पूर्व असिस्टंेट कमिष्नर की हत्या हो गयी, मेरठ में दरोगा ने महिला का चेहरा खौलते हुये तेल में डाल दिया, पुलिस की दबंगई और दबाव के चलते शाहजहापुर के मृतक पत्रकार जगेन्द्र के दोनो बेटे घर छोडकर भागने पर मजबूर हो गये हैं इन सब घटनाओं से पता चलता है कि प्रदेष सरकार अपराधियों को संरक्षण दे रही है जिससे पुलिस अपराधियांे को बचाने का काम करती है। प्रदीप शुक्ला जैसे दागी अफसरों को सरकार द्वारा महिमा मण्डित करके नियुक्ति देने से कत्र्तव्यनिष्ठ अधिकारियों में हताषा और निराषा का भाव जिस कारण कोई भी अधिकारी सही काम करने को तैयार नहीं है। दिन प्रतिदिन हो रहे तबादलों से भी प्रदेष की कानून व्यवस्था तथा अफसरों के कार्य करने की क्षमता पर असर पड़ता है प्रतिदिन अधिकारियों के तबादले से लगता है कि प्रदेष सरकार ट्रान्सफर पोस्टिंग उद्योग चला रही है।