इलाहाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपराधों की विवेचना में पुलिस के रवैये पर तीखी टिप्पणी करते हुए उसे अपनी कार्यशैली में सुधार का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि उत्तर प्रदेश पुलिस बेलगाम हो गई है। समय रहते उसका रवैया नहीं सुधारा गया तो स्थितियां नियंत्रण से बाहर हो जाएंगी।

कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार एवं गृह विभाग के उच्च पदों पर बैठे बड़े अधिकारी नींद से जागें और पुलिस को प्रभावी बनाने के कदम उठाएं। कोर्ट ने मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव गृह तथा सचिव नियुक्ति को निर्देश दिया है कि वे ऐसी पुलिस बनाएं जो काम करती हुई दिखायी दे जिससे जनविश्वास लौट आए। कोर्ट ने इन तीनों अधिकारियों से छह माह में उठाये गए कदमों की जानकारी मांगी है। साथ ही कोर्ट ने सहारनपुर की एक बालिका का अपहरण कर कई दिनों तक गैंगरेप करने के पांच आरोपियों के खिलाफ विवेचना एक माह में पूरी करने का निर्देश दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति शशिकान्त की खंडपीठ ने सहारनपुर की एक महिला की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया। याचिका के अनुसार 18 अगस्त 2014 को याची अपनी बेटी के साथ बाजार जा रही थी। रास्ते में पांच लोगों अहसान, इरफान, यूनुस औरंगजेब एवं फरमान ने लड़की का अपहरण करके उसे सथौली स्थित रिजवान के घर में रखा जहां उसके साथ लगातार सामूहिक दुराचार होता रहा। 16 अक्टूबर 2014 को लड़की को सड़क पर फेंक दिया गया। लड़की ने आरोपियों के खिलाफ सीजेएम की अदालत में बयान दिया, फिर भी पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही क्योंकि आरोपी सत्ताधारी पार्टी से जुड़े थे। इसके विपरीत आरोपियों ने पीडि़ता के घर में घुसकर धमकाना शुरू किया। पुलिस से निराश लड़की की मां ने हाईकोर्ट की शरण ली जिस पर कोर्ट ने विवेचना अधिकारियों को तलब किया।

विवेचना में भी पुलिस की खामियां सामने आईं। पहले विवेचना अधिकारी दारोगा रघुराज सिंह ने कुछ नहीं किया। इसके बाद विवेचना हरिकृष्ण को दी गयी। उन्होंने भी केवल पर्चे काटे। पुन: अब संजय मिश्र को विवेचना दी गयी है। विवेचना के नाम पर खानापूरी किए जाने व आरोपियों को पीडि़ता को धमकाने की छूट देने को कोर्ट ने गंभीरता से लिया है और इसे दुर्भाग्यपूर्ण माना है। कोर्ट ने कहा है कि अदालत पुलिस की गलत विवेचना के कारण अपराधियों को सजा नहीं दे पा रही है।