जमीअत उलमा उत्तर प्रदेश के प्रतिनिधि मण्डल ने किया बदायूं के इचैरा गांव का दौरा

लखनऊ। जमीअत उलमा का एक  प्रतिनिधिमंडल जिला बदायूं के गांव इचैरा थाना ओझानी गया जहां सांप्रदायिक तत्वों ने जुमा की नमाज के दौरान एक मस्जिद पर हमला करके मुसलमानों को जानी और माली नुकसान पहुंचाया। प्रतिनिधिमंडल ने घटनास्थल का निरीक्षण किया और लोगों से मिलकर सही स्थिति की जानकारी प्राप्त की। उन्हे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि उक्त गांव में सांप्रदायिक तत्वों ने मस्जिद और मुसलमानों के खिलाफ जो कुछ किया उसमें पुलिस पूरे तौर पर शामिल रही मानो उनकी मिलीभगत से ही अल्पसंख्यकों पर अत्याचार किया गया और मस्जिद को बहाना बनाकर मुस्लिम आबादी और खेतों को भी नुकसान पहुंचाया गया।

जिस मस्जिद को आधार बनाकर झगड़ा किया गया वह कोई नया निर्माण नहीं किया गया जा रहा है बल्कि वह 2004 से इस जगह पर पांचों वक्त की नमाज पढ़ी जा रही थीए इस वक्त उसके कुछ हिस्से पर छत डालने की कोशिश की जा रही थी जिस पर टीन शेड पड़ा हुआ था उसी को आधार बनाकर साम्प्रदायिक तत्वों ने पुलिस के इशारे पर दंगा भड़का दिया और गांव की शांति को भंग कर दी। इसमें लेखपाल चरन सिंह और दारोगा अशोक यादव की भूमिका सबसे खराब रही जिसने षरारती तत्वों का पूरा समर्थन किया और उन्हें मस्जिद के खिलाफ उकसा कर शुक्रवार के दिन लगभग दो सौ आदमियों द्वारा ठीक नमाज के समय पथराव किया जिसके कारण वहां के हालात तनावपूर्ण हुए जिसकी वजह से मुसलमानों में इतना डर है कि वह गांव छोड़कर भाग गए हैं। जमीअत के प्रतिनिधिमंडल को गांव में कोई मुस्लिम मर्द दिखाई नहीं दिया केवल महिलाएं और बच्चे ही घरों में खौफ का जीवन जीने पर मजबूर हैं यह भी पता चला है कि एसएसपी सुमित्र यादव की भूमिका भी अच्छी नहीं रही उन्होंने मामले की निष्पक्ष जांच के बजाय दारोगा अशोक यादव का साथ दिया जिसकी वजह से क्षेत्र में भय और आतंक का माहौल है। सांप्रदायिक ताकतों के मनोबल ऊंचा है और गांव का जो भी मुसलमान पुलिस के हाथ लग गया उसे पकड़ कर जेल में डाल दिया गया है।

ऊपर के अधिकारियों को धोखा देने के लिए स्थानीय प्रशासन ने कुछ गैर मुस्लिमों को भी गिरफ्तार किया है जिनकी संख्या बहुत कम है। असली गैर मुस्लिम आरोपी अशोक यादव के साथ खुलेआम घूम रहे हैं| 

 प्रतिनिधिमंडल द्वारा प्रस्तुत की गई विस्तृत रिपोर्ट के आधार पर जमीअत उलमा उत्तर प्रदेश ने यूपी सरकार से मांग की है कि निर्दोषों को तुरंत रिहा किया जाए और गांव के मुसलमानों को भारतीय संविधान द्वारा मिले हुए अधिकार के आधार पर अपनी जमीन पर मस्जिद का विस्तार और विशाल की तत्काल अनुमति दी जाए और शरपसनदों को गिरफ्तार किया तथा जिन पुलिसकर्मियों ने दंगों को भड़का ने अपनी गन्दी भूमिका निभाई है उन्हें तुरंत ससपैंड किया जाए। इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल लोगों में  हाफिज अब्दुल कुद्दूस हादी अध्यक्ष जमीअत उलेमा कानपुर व सचिव जमीअत उलेमा यूपीए मौलाना मोहम्मद गुफरान कासमी कार्यालय सचिव जमीअत यूपीए मौलाना आर इस्लाम आयोजक जमीअत यूपीए मौलाना सना उद्दीन महासचिव जमीअत उलेमा फर्रुखाबादए कारी मोहम्मद राशिद महासचिव कासगंज एटा व मौलाना मोहम्मद कासिम अध्यक्ष कासगंज एटा ए मुफ्ती रियाज अहमदए मौलाना अब्दुल कादिरए मुफ्ती मोहम्मद सलीम फर्रुखाबादए मौलाना मोहम्मद हुजैफा  कानपुर आदि शामिल थे।