नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला किया और आरोप लगाया कि वह उनके सहकर्मियों को ‘सांप्रदायिक ध्रुवीकरण’ के लिए ‘भय और दबाव’ का माहौल उत्पन्न करने की अनुमति देकर ‘खतरनाक दोहरा खेल’ खेल रही है।

उन्होंने सरकार पर यह भी आरोप लगाया कि वह कल्याणकारी राज्य संरचना को ध्वस्त करने के ‘सुनियोजित प्रयास’ कर रही है। सोनिया ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि वे भूमि विधेयक और खाद्य सुरक्षा कानून पर सरकार के कदमों का ‘मजबूती से विरोध’ करें। एक तरफ प्रधानमंत्री खुद को सुशासन और संवैधानिक मूल्यों के बड़े पैरोकार के रूप में पेश करना चाहते हैं, वहीं दूसरी तरफ वह अपने कई सहकर्मियों को घृणास्पद बयानों और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने की अनुमति देते हैं। कांग्रेस मुख्यमंत्रियों के एक दिवसीय सम्मेलन के अपने उद्घाटन संबोधन में उन्होंने कहा कि यह पहले ही हमारे धर्मनिरपेक्ष ताने बाने को नष्ट कर चुका है। डर और दबाव का माहौल जानबूझकर उत्पन्न किया गया है।

मोदी सरकार को यू टर्न सरकार बताते हुए सोनिया ने कहा कि प्रधानमंत्री ने वस्तु एवं सेवाकर-जीएसटी, भूमि अधिग्रहण तथा आधार जैसे कई मुद्दों पर सत्ता में आने के बाद अपना रूख बदला है। उनका कहना था कि पहले वह जिन मुद्दों का मुखर होरक विरोध करते थे सरकार में आने के बाद उन्हीं मुद्दों के पक्ष में खडे हो गए।

उन्होंने कहा कि समाजिक बराबरी और सभी के कल्याण के लिए काम करने का दावा करने वाली मोदी सरकार ने सामाजिक कल्याण की सभी योजनाओं के केंद्रीय बजट में अप्रत्यासितरूप से कटौती की है और राज्यों के विकास में केंद्र की भूमिका को नकार दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, स्वच्छता, ग्रामीण सडकें,आजीविका, महिलाओं एवं बच्चों तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के विकास की सभी योजनाओं का बजट कम किया है।

उन्होंने इसे एक नया सिद्धांत बताया और कहा कि इसके जरिए सामाजिक तथा मानव विकास में केंद्र की भूमिका को कमजोर करके ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्थानीय तथा स्वशासन की ताकत को घटाया जा रहा है।