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जेल भेजे गए अवधपाल

बेटे समेत अदालत में हुए हाज़िर

लखनऊ। बसपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे अवधपाल सिंह यादव आज पुत्र एटा जिला पंचायत सदस्य रणजीत यादव सहित अदालत में हाजिर हो गए। वे लंबे समय से विभिन्न आपराधिक मामलों में फरार चल रहे थे। निचली अदालत ने उनकी जमानत अर्जी नामंजूर कर दी। जिसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही पूर्व मंत्री और उनके पुत्र रणजीत पर तमाम आपराधिक मामले दर्ज हुए। जिनमें से अधिकांश मामलों में दोनों फरार चल रहे थे। इसमें एटा के जैथरा क्षेत्र में तिहरा हत्याकांड, पशु चिकित्सालयों के निर्माण में घोटाला और अलीगंज कोतवाली क्षेत्र का दुष्कर्म मामला प्रमुख है। इसके अलावा उन पर जानलेवा हमला, आपराधिक षडय़ंत्र, मारपीट, गुंडा एक्ट आदि के मुकदमे भी दर्ज हैं। पूर्व में उनके विरुद्ध कुर्की कार्रवाई हो चुकी है और उन पर पांच हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया जा चुका है। सोमवार सुबह करीब १०.३० बजे पूर्व मंत्री, उनके पुत्र और टपुआ गांव के ही एक अन्य व्यक्ति योगेंद्र ने अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कक्ष संख्या १७ की अदालत में आत्मसमर्पण करते हुए जमानत अर्जी दाखिल की। न्यायाधीश ने तीनों की ही जमानत अर्जी खारिज कर दी। जिसके साथ उन्हें जेल भेजे जाने की तैयारी चल रही है।

पूर्व मंत्री अवधपाल सिंह यादव अपनी ही सरकार में मंत्री रहते कार्रवाई के दायरे में आ गए थे। भ्रष्टाचार, अवैध कब्जे आदि मामलों को लेकर लोकायुक्त की जांच में उन्हें दोषी ठहराया गया था। उन्हें मंत्री पद छोडऩा पड़ा और बसपा ने कुछ समय बाद पार्टी से निलंबित कर दिया था।वर्ष 2007 में पशुधन एवं दुग्ध विकास राज्यमंत्री बनाए जाने के बाद अवधपाल सिंह यादव का नाता लगातार विवादों से रहा। कभी वे विवादास्पद बयानों के चलते सुर्खियों में रहे तो कभी विभिन्न आरोपों को लेकर, लेकिन अपने कार्यकाल के लगभग अंत में उन्हें कार्रवाई का सामना करना ही पड़ गया। पशु अस्पतालों के निर्माण में अपने बेटे को ठेका देने, पशु चिकित्सकों की भर्ती, दवा-वैक्सीन की खरीद, ग्राम समाज की भूमि पर कब्जे आदि के आरोपों की जांच उनके मंत्री रहते हुए मई 2011 में लोकायुक्त तक पहुंची। लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा ने आरोप सही पाते हुए उन्हें पद से हटाने की सिफारिश की थी। 17 अगस्त को अवधपाल ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। सूबे में सरकार बदलने के बाद उन पर मुकदमों की झड़ी लग गई। इनकी संख्या नौ पहुंचने के बाद पूर्व मंत्री और उनके बेटे रणजीत यादव फरार हो गए थे।

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