न्यूयॉर्क। मनोरंजन जगत की दिग्गज कंपनी वॉल्ट डिज्नी ने 250 अमरीकी कर्मचारियों को नौकरी से निकालकर उनके स्थान पर भारतीयों को भर्ती कर लिया है। ये सभी भारतीय एच1-बी वीजा धारक हैं। इससे एक ओर जहां भारतीय प्रतिभा की धमक बढ़ी है, वहीं अमरीकियों को निकाले जाने से यहां एक बार फिर आउटसोर्सिग का मुद्दा गर्मा गया है।

एच-1 बी वीजा का भी इसी के साथ धीरे-धीरे विरोध शुरू हो रहा है। गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षो में अमरीकी कंपनिया, खासकर आईटी क्षेत्र की कंपनियां अमरीकी कर्मचारियों की बजाय भारतीय और एशियाई लोगों को रखने में दिलचस्पी दिखा रही हैं। यह अमरीका में पहला मामला नहीं है।

अमरीका में आईटी क्षेत्र से जुड़ा वर्ग विशेष तौर पर अब एच-1 बी वीजा का विरोध कर रहा है। इनका कहना है कि एशियाई देशों से लोग आकर यहां कम वेतन में काम करने को तैयार हो रहे हैं, जिससे अमेरिकियों को नौकरी गंवानी पड़ रही है। हॉवर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रोनिल हीरा का कहना है कि इस तरह की पॉलिसी से अमेरिकी लोगों में नौकरी को लेकर अनिश्चितता बढ़ेगी। इस बारे में डिज्नी का कहना है कि ये कंपनी की पुनर्गठन और सुधार प्रक्रिया का हिस्सा है और जितने लोगों को नौकरी से हटाया जाता है, उससे ज्यादा लोगों को नौकरी दी जाती है।