नई दिल्ली: दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और उप राज्यपाल के मध्य बने गतिरोध के बीच केन्द्र ने आज कहा कि किसी के जरिए दिल्ली का शासन चलाने का उसका कोई इरादा नहीं है लेकिन वह अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों तथा प्रतिबद्धताओं के प्रति सचेत हैं।

गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘किसी के जरिए दिल्ली सरकार चलाने का हमारा कोई इरादा नहीं है। उन्हें सरकार चलाने दीजिए। हम केवल संवैधानिक प्रावधानों को बनाए रखना चाहते हैं।’’ उनसे सवाल किया गया था कि एक अधिसूचना जारी करके उप राज्यपाल को वरिष्ठ नौकरशाहों की नियुक्ति-तबादले सहित कई मामलों में पूर्ण शक्ति देकर क्या केन्द्र उनके माध्यम से दिल्ली सरकार चलाना चाहती है। इस अधिसूचना को दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने अदालत में चुनौती दी है।

सिंह ने कहा, ‘हम किसी के विरूद्ध नहीं हैं लेकिन यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम संविधान के प्रावधानों को बनाए रखें। हर किसी को संविधान के दायरे में रहना चाहिए।’ उप राज्यपाल को और शक्ति देने वाली केन्द्र की ओर से 21 मई को जारी अधिसूचना को दिल्ली विधानसभा में पारित प्रस्ताव में ‘गैर-कानूनी’ बताए जाने और नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा देश को ‘तानाशाही’ की ओर ले जाने के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बयान के बारे में किए गए सवालों के जवाब में गृह मंत्री ने कहा कि वह इस संबंध में कोई टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे और साथ ही कहा कि सरकार संविधान के प्रति प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, अगर राष्ट्रीय राजधानी में कानून एवं व्यवस्था की किसी तरह की स्थिति उठती है तो केन्द्र सरकार हस्तक्षेप करने के लिए बाध्य है।

गृह मंत्री ने कहा, ‘मैं यह टिप्पणी नहीं करना चाहता कि कौन क्या कर रहा है लेकिन हम संविधान के प्रति प्रतिबद्ध हैं। कानून एवं व्यवस्था भी मेरा कर्तव्य है..हम देखेंगे।’ यह पूछे जाने पर कि क्या केन्द्र और दिल्ली सरकार के बीच जंग चल रही है, उन्होंने हंसते हुए कहा, ‘कोई जंग नहीं है, सिर्फ नजीब जंग हैं।’’ केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच क्षेत्राधिकार का विवाद कल उच्चतम न्यायालय पहुंच गया। केंद्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है जिसमें दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधी शाखा को केन्द्र सरकार के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने से रोकने वाली केन्द्र की हाल की अधिसूचना को संदिग्ध बताया गया है। गृहमंत्रालय ने कहा कि एसीबी का उसके केंद्रीय अधिकारियों पर कोई क्षेत्राधिकार नहीं है । दिल्ली सरकार ने इसे चुनौती दी थी।

गृहमंत्रालय ने 21 मई को एक गजट अधिसूचना जारी कर कहा था कि एसीबी पुलिस थाना केन्द्र सरकार की सेवाओं के अधिकारियों और कर्मियों के खिलाफ अपराधों का संज्ञान नहीं लेगा। इसके अलावा अधिसूचना में दिल्ली के उप राज्यपाल को वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्तियों और तबादलों की पूर्ण शक्ति दी गई है। उच्च न्यायालय दिल्ली पुलिस के एक कांस्टेबल की जमानत अर्जी पर सुनवाई कर रहा है जिसे रिश्वतखोरी के आरोप में एसीबी ने गिरफ्तार किया था। उच्च न्यायालय ने कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के उपराज्यपाल दिल्ली की जनता द्वारा सीधे चुने हुए मंत्रिपरिषद की सहायता एवं सलाह पर काम करने के लिए बाध्य है और उनका पक्ष लेते हुए जारी केंद्र का व्यवस्थापत्र संदिग्ध है।

कांस्टेबल की जमानत अर्जी खारिज करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने केन्द्र सरकार की सेवाओं के अधिकारियों और कर्मियों के खिलाफ अपराधों पर कार्रवाई करने से दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधी शाखा को रोकने वाली केन्द्र सरकार की अधिसूचना को ‘संदिग्ध’ करार दिया था।