नई दिल्ली: बढ़ती भीषण गर्मी के साथ ही दिल्ली के पर्यावरण में विषाक्त ओजोन का स्तर निर्धारित सीमा से अधिक बढ़ गया है जो लोगों के लिए स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां पैदा करने के साथ ही दमे के मरीजों के लिए विशेष तौर पर नुकसानदायक है।

मौसम विभाग ने गुरुवार को बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जाने पर विषाक्त ओजोन का स्तर इस वर्ष पिछले दो सप्ताह में सर्वाधिक रहा।

अधिक तापमान के साथ ही कार्बन मोनोआक्साइड और नाइट्रोजन आक्साइड के स्तर में वृद्धि के कारण सतह पर ओजोन में वृद्धि हुई है।

सामान्य तौर पर, दिल्ली की हवा की गुणवत्ता में खराबी मुख्य रूप से धूल, धुएं के कारण है न कि गैसों के कारण जो कि पश्चिमी देशों में सतही ओजोन प्रदूषण का मुख्य स्रोत होती हैं।

सिस्टम आफ एयर क्वालिटी एंड वैदर फोरकास्टिंग रिसर्च (एसएएफएआर) के परियोजना निदेशक गुरफान बेग के अनुसार, ‘तापमान में वृद्धि के कारण दिल्ली में विषाक्त ओजोन का स्तर बढ़ गया है और इस वर्ष पिछले दो सप्ताह के दौरान यह अधिकतम रहा। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के कुछ इलाकों में सतही ओजोन 120 पीपीबी (प्रति अरब हिस्सा) तक अधिक था जिसे वायु गुणवत्ता सूचकांक में खराब के रूप में श्रेणीबद्ध किया गया है।’

एसएएफएआर हवा की गुणवत्ता , मौसम और विकिरण की जानकारी आदि के संबंध में सूचनाएं उपलब्ध कराता है और यह पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत स्वायत्त संस्थान के रूप में कार्यरत इंडियन इंस्टीट्यूट आफ ट्रोपिकल मीटियोरोलोजी (आईआईटीएम) के तत्वाधान में काम करता है। पीपीबी की वहन योग्य सीमा 50 पीपीबी की है।

दिल्ली यूनिवर्सिटी (नार्थ कैम्पस), धीरपुर तथा आया नगर में ओजोन का अधिकतम स्तर रिकार्ड किया गया जिनमें धीरपुर में 27 मई को इसका स्तर 120 पीपीबी था। यह दिल्ली में सबसे खराब ओजोन दिन था।