लाखों विद्यार्थियों की काउंसिलिंग पर असर पड़ना तय

लखनऊ। करीब सात सौ निजी और सरकारी इन्जीनीरिंग कालेजों में दाखिलों के लिए संयुक्त राज्य प्रवेश परीक्षा-2015 की काउंसिलिंग से पूर्व एक और विवाद सामने आ गया। शनिवार को कुलपति ने एसईई के संयोजक प्रो.जेपी सैनी को हटाकर उनकी जगह प्रो.जगवीर सिंह को तैनात कर दिया। इस पर सैनी ने भी मोर्चा खोल दिया और शासनादेश का हवाला देते हुए हटने से मना कर दिया। अफसरों के टकराव का असर लाखों विद्यार्थियों की काउंसिलिंग पर पड़ना तय माना जा रहा है। 

यूपीटीयू कुलपति प्रो.ओंकार सिंह ने शनिवार को एसईई की प्रवेश प्रक्रिया के बीच ही प्रशासनिक आधार पर एसईई की कमेटी में फेरबदल करने के निर्देश जारी कर दिया। कुलपति ने प्रो.जगवीर सिंह को संयोजक और गिरीश चंद्रा को सहसंयोजक बनाया है, जबकि कमेटी के तीसरे सदस्य के तौर पर डा.वीरेंद्र पाठक को बरकरार रखा गया है। सैनी ने आदेश को मानने से इन्कार करते हुए 24 मार्च को जारी किए गए शासन के उस पत्र का हवाला दिया है, जिसमें कहा गया कि 18 नवंबर 2104 को शासन में शीर्ष स्तर से एसईई के लिए कमेटी का गठन किया गया है। लिहाजा इसमें किसी तरह का फेरबदल नहीं किया जा सकता है। यह पत्र शासन ने तत्कालीन कुलपति प्रो.आरके खांडल को भेजा था जब वह कमेटी में फेरबदल कर मनीष गौड़ के स्थान पर बुंदेलखंड अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान झांसी के डा.डीके श्रीवास्तव को शामिल करना चाहते थे। प्रो.जेपी सैनी ने कहा कि शासनादेश में स्पष्ट है कि एसईई की कमेटी में किसी तरह का फेरबदल नहीं किया जा सकता है। वहीं कुलपति प्रो.ओंकार सिंह का कहना है कि एसईई की परीक्षा कराने का अधिकार कुलपति को है और वह परीक्षा के हित के लिए कोई कदम उठा सकता है।