लखनऊ: प्रदेश को भ्रष्टाचार मुक्त करने के वादे और वादों को अमल में लाने की मुख्यमंत्री की कवायद नक्करखाने में तुती की आवाज बनकर रह गई है। भ्रष्टाचार इस कदर फैल गया कि विभाग के कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक किसी से भी रिश्वत मागने से नहीं डरते । इसी का एक ताजा उदाहरण मिला जिला उद्योग केंद्र पर जहां के एक सांख्यकीय अधिकारी ने अपने ही विभाग के मंत्री भगवत शरण गंगवार से ही 10 हज़ार रुपए बतौर रिश्वत मांग लिए। सवाल इस बात का है कि जब एक मंत्री से इस तरह से एक कर्मचारी घूस मांग सकता है तो आम नागरिकों के साथ उनका रवैया क्या होता होगा।

जिला उद्योग केंद्र पर भ्रष्टाचार किस कदर हावी है इसका अन्दाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां के एक सांख्यकीय अधिकारी चौधरी ने लघु उद्योग एवं निर्यात प्रोत्साहन मंत्री भगवत शरण गंगवार से एक काम के बदले 10 हज़ार रुपए बतौर रिश्वत की पेशकश कर दी। दरअसल मामला यह था कि एक्जीयूमप्लस न्यूज लिमिटेड लाइबिलिटिज़ पार्टनरशिप नाम की अपना पंजीकरण उद्योग विभाग उत्तर प्रदेश में करवाना चाहती हैं। इसके लिए कंपनी ने उद्योग विभाग की वेबसाइट से सहायता लेनी चाही लेकिन उससे सहायता नहीं मिल सकी। कंपनी के मालिक ने स्वयं 14 मई को उद्योग विभाग जाकर निवेश मित्रए चौधरी से मुलाकात की और अपनी समस्या बताई। चौधरी उद्योग केंद्र में सांख्यकीय अधिकारी के रूप में तैनात हैं। उन्होने समस्या सुनने के बाद सभी कागजात मांगे और काम हो जाने का आश्वासन दिया। कुछ देर के बाद उन्होंने कंपनी के मालिक से कुछ खर्च करने को कहा। यह पूछने पर कि कितना खर्च लगेगा उस पर उन्होने पांच हज़ार रुपए देने की बात कही। असमर्थता जाहिर करने पर उन्होंने दूसरे दिन आने को कहा।

आपका काम कर रहा हूं पैसे लेकर आओ

दूसरे दिन कंपनी का की आदमी उद्योग विभाग नहीं गया तो चौधरी ने 15 मई को 9 बजकर 10 मिनट पर फोन कर कहा कि आपका काम कर रहा हूं और आप पांच हज़ार रुपए लेकर आइए। अगले दिन 16 मई को फिर चौधरी का फोन पैसे के सन्दर्भ में आया  लेकिन कंपनी का कोई आदमी आफिस नहीं गया और इस बात की शिकायत लघु उद्योग एवं निर्यात प्रोत्साहन मंत्री भगवत शरण गंगवार से कर दी।

मंत्री से मांगी दस हज़ार रिश्वत

लघु उद्योग एवं निर्यात प्रोत्साहन मंत्री को पहले तो विश्वास नहीं हुआ लेकिन इस बात की पुष्टि करने के लिए उन्होने अपने मोबाइल से ही उद्योग केन्द्र पर चौधरी से लखनऊ में एक निर्यात इकाई के स्थाई पंजाकरण के सम्बन्ध में बात की। मंत्री ने इकाई के सम्बंन्ध जानकारी और उससे जुड़े खर्चे के बाबत बात की तो चौधरी ने उनसे ऑफिस आने की बात कही और खर्चे के तौर पर 10 हज़ार रुपए मांग लिए।

ऑफिस आओ बताता हूं

मंत्री ने जब उससे पूछा कि आखिर ये दस हज़ार रुपए किस बात के हैं तो चौधरी ने कहा ऑफिस आइए फिर इसे समझाता हूं फिर उसने कहा कि काम के पैसे तो लगते ही हैं। उसकी बात से भगवत शरण गंगवार दंग थे और दंग था कंपनी का मालिक आखिर कैसे कोई कर्मचारी अपने ही विभाग के मंत्री से रिश्वत का मांग कर सकता है। जब उन्होंने चौधरी को बताया कि वह कौन बोल रहे हैं तो उसने तत्काल फोन रख दिया, फिलहाल मंत्री ने चौधरी के निलम्बन के आदेश दे दिए हैं।

अब देखना यह है कि भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे उद्योग विभाग के इस कर्मचारी सरकार क्या कदम उठाती है जिससे सबक लेकर दूसरे कर्मचारी ज़रुरतमंदों का जबरन दोहन न कर सकें।