गन्ना विकास व चीनी उद्योग पर एक दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न 

लखनऊ: प्रदेश में गन्ने के उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने के लिये जरूरी है कि बेहतर टेक्नालाॅजी को अपनाया जाय। इसके लिये कृषि वैज्ञानिकों व विशेषज्ञों को आगे आकर ऐसी तकनीक विकसित करनी होगी जो गन्ने की खेती को किसानों के लिये और अधिक लाभकारी बना सके और साथ ही औद्योगिकी दृष्टि से भी यह खेती फायदेमन्द साबित हो सके।

यह विचार आज यहां गन्ना संस्थान में ‘‘गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग: वर्तमान चुनौतियां एवं विकल्प’’ विषय पर आयेाजित एक दिवसीय कार्यशाला को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुये प्रमुख सचिव, गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग, श्री राहुल भटनागर ने व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार द्वारा खेती और किसान के विकास से जुड़े कार्यों को अपनी प्राथमिकताओं में शामिल किया गया है और इस दिशा अनेक कार्यक्रम और योजनायें चलायी जा रही हैं। किसानों को उनकी गन्ना उपज का लाभकारी मूल्य सुनिश्चित कराने के साथ-साथ उनके बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान भी प्राथमिकता के साथ किया जा रहा है।

श्री भटनागर ने कहा कि को-जेनेरशन से इण्टस्ट्री को काफी राहत मिली है। जरूरत इस बात की है कि को-जेनेरशन को और अधिक प्रोत्साहित किया जाये। उन्होंने ब्राजील का उदाहरण देते हुये कहा कि चीनी उत्पादन बढ़ने से वहां एथेनाॅल का उत्पादन भी बढ़ जाता है क्योंकि यह उत्पाद आर्थिक दृष्टि से लाभकारी है। इसी प्रणाली को यहां भी अपनाने पर विचार कर लागू किया जाना जरूरी है। ऐसा करने से गन्ना किसानों और चीनी उद्योग दोनों का ही भला होगा।

कार्यशाला को कृषि वैज्ञानिकों और गन्ना विकास कार्य से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों ने भी सम्बोधित किया।