लखनऊ: राष्ट्रीय भागीदारी आन्दोलन का एक दिवसीय प्रान्तीय सम्मेलन आज चारबाग स्थित रविन्द्रालय में आयोजित किया गया। इस सम्मेलन की अध्यक्षता अम्बेडकर महासभा के अध्यक्ष डा0 लालजी प्रसाद निर्मल ने तथा संचालन श्याम कुमार द्वारा किया गया।

सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए अम्बेडकर महासभा के अध्यक्ष डा0 लालजी प्रसाद निर्मल ने कहा कि वंचित वर्गो को केवल राजनीति और सरकारी सेवाओं में प्रतिनिन्धित्व के अलावा किसी भी क्षेत्र में भागीदारी नही मिल पाई। इसके लिए पूरी तरह से दलित राजनीति जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि सच तो यह है कि दलित राजनीति के पास दलितो के लिए कोई एजेण्डा नही है। डा0 निर्मल ने कहा कि न्याय पालिका, निजी क्षेत्र सेना सहित राष्ट्रीय संपदा में वंचित वर्गों की भागीदारी न होने से वे मुख्यधारा से नही आ पा रहे है। डा0 निर्मल ने कहा कि देश के दलितो वंचितों को अपने राजनैतिक मतभेदों को अगल रख कर कतिपय राजनैतिक दलो द्वारा डा0 अम्बेडकर को अपना पेटेन्ट बनाए जाने के सवाल पर डा0 निर्मल ने कहा कि डा0 अम्बेडकर और दलित किसी एक दल या जाति की जागीर नही है। उन्होने साफ शब्दो मेे कहा कि दलितो को देखना होगा कि कौन लोग डा0 अम्बेडकर के विचारो के साथ है और कौन लोग डा0 अम्बेडकर के नाम पर राजनीति कर रहे है।

इस अवसर पर राष्ट्रीय भागीदारी आन्दोलन के प्रधान संयोजक पी0सी0 कुरील ने एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया जिसमें दलितो पिछड़ो मुखलमानो को उनकी आवादी के अनुपात में जमीन, उद्योग, न्यायपालिका, निजी क्षेत्र, सेना सहित समस्त संसाधनों में भागीदारी की मांग की गयी। प्रस्ताव में कहा गया कि संविधान कही मंशा सरकारी  क्षेत्र के प्रत्येक पद पर दलितों पिछड़ों के प्रतिनिधित्व देने की है अतः हर पद पर चाहे वह  नियुक्ति का पद हो या प्रोन्नति का समस्त पदों पर भागीदारी दी जाय। निजिक्षेत्र में वंचित वर्गों की भागीदारी नगण्य है जिसके कारण उद्योग धन्धो में इन वर्गों की भागीदारी शून्य हो गयी है इसी प्रकार न्यायपालिका में भी इन वर्गो की भागीदारी नगण्य है जिससे समाज में गैर बराबरी और असंतुलन पैदा हो गया है।

श्री पी0सी0 कुरील ने कहा कि आजादी के बाद जमीन और संपत्ति का बंटवारा नही हो पाया जिसके कारण वंचित तपका आजादी की सुबिधा से वंचित हो गया अतः जिन लोगो के पास रहने तक के लिए जमीन नही है खेती के लिए जमीन नही है उन्हे सरकारी पैसे से जमीन क्रय कर उपलब्ध करायी जाए। भागीदारी सम्मेलन को सम्बोधित करते हुये गोरखपुर विश्वविद्यालय प्रोफेसर राम नरेश चैधरी ने कहा कि भागीदारी आन्दोलन के अध्यक्ष से ही दलितों, पिछड़ों, मुस्लमानों को सामाजिक न्याय और अधिकार मिल सकते हैं। कौमी वंचित मोर्चा के सदर तथा पूर्व कुलपति अरबी, फारसी, उर्दू वि0वि0 की अनीस अंसारी ने कहा कि मुसलमान एवं ईसाई दलितों को भी आरक्षण दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिन्दू, सिख एवं बौद्ध दलितों की ही आरक्षण दिया जा रहा है, जो भारतीय संविधान के धर्मनिरपेक्षता के विरूद्ध है। उन्होेने अपील की कि संविधान में संशोधन कर ईसाई एवं मुसलमान दलितों को आरक्षण दिया जाय।

प्रख्यात रंगकर्मी श्याम कुमार ने कहा कि वंचित वर्गों का एक बड़ा हिस्सा बेहद तकलीफो में है और जब तक हाशिए के समाज को भागीदारी नही मिलती देश के विकास की बात अर्थहीन है।

अन्त में एक प्रस्ताव के माध्यम से यह घोषणा की गयी कि अन्ना के तर्ज पर देश में वंचित वर्गों की भागीदारी का आन्दोलन चलाया जाएगा और माह अक्टूबर में 05 लाख दलितो पिछड़ों मुसलमानो के दिल्ली में धरने से होगी। सम्मेलन में मुख्य रूप से प्रो0 रामनरेश चैधरी, इंजीनियर भीमराज, भन्ते करूणाशील, अर्जुन देव भारती, रामचन्द्र पटेल, राजेश बाल्मीकि,  ए0पी0 राहुल, राम प्रकाश जाटव, पंचम लाल, अरूण खोटे, भवन नाथ पासवान, डी0पी0 रावत, बीरेन्द्र कुमार मौर्य, एहसानुलहक मलिक, रामबृज रावत, शहजादे मंसूर अहमद, मो0 आफाक, राजेश कुमार सिद्धार्थ, राजेश बाल्मिकी, पंचम लाल, अश्विनी कुमार, प्रमोद कुमार, वीना मौर्या आदि लोगों ने अपने विचार रखें।