लखनऊ:  देश के किसानों पर आये प्राकृतिक आपदा से सभी पीडि़त किसानों को उनके लागत मूल्य से 10 गुना अधिक का मुआवजा दिया जाने, भूमिहीन जो बड़े किसानों से खेतीहर भूमि को बटाई लेकर व बरकट पर लेकर फसल बोई है वो मुआवजा बटाई पर लेने वाले व बरकट पर लेने वालों को दिया जाये। वर्तमान में जिन किसानों के नाम जमीन है उन्ही को यह मुआवजा दिया जा है। इससे इन भूमिहीन मजदूरों की दशा बद से बत्तर है। सभी तरह की वसूली रोक दी जाये और जिन किसानों ने बैंको से लोन ले रखा है तत्काल माफ किये जाये, जिन किसानों ने आत्म हत्या की है उन्हें कम से कम 10 लाख रूपये दिये जाये। सभी किसानों के बच्चों को सभी तरह की शिक्षा निःशुल्क दिये जाने, किसानों के बच्चों की शादी हेतु कम से कम 2 लाख रूपये दिये जाने आदि का ज्ञापन राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायधीश, कृषि मंत्री, भारत सरकार को महासभा ने भेजा है। यह जानकारी आज यहाँ जारी एक संयुक्त वक्तव्य में महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एहसानुलहक मलिक व राष्ट्रीय महासचिव शिवनारायण कुशवाहा ने दी।

नेता द्वय ने यह भी बताया कि सरकार आपदा की जो सर्वे करा रही है वह भी सन्तोषजनक नही है। सर्वे अधिकारी व कर्मचारी किसी प्रतिनिधि के यहाँ बैठकर सर्वे करते है उससे कई छोटे किसान व बटाई बरकट वाले भूमिहीन किसान छुट जा रहें है।

नेता द्वय ने यह भी बताया कि मुआवजे की धनराशि बटवाने में दलालों व बिचैलियों की बड़ी भूमिका चल रही है। इस तरह निर्धारित मुआवजा किसानों को नही मिल पायेागा। ऐसे दलालों व बिचैलियों को खुफिया विभाग से चिन्हित कराकर सरकार उन पर कठोर कार्यवाही करे साथ ही सरकार यह भी सुनिश्चिित करे की पीडि़त किसान, बटाई व बरकट वाले किसान न छुटने पाये, यादि पीडि़तों में कोई छुटता है तो सम्बन्धित अधिकारी, कर्मचारी को तत्काल सरकार निलाम्बित करके जांच कराये।

नेता द्वय ने यह भी मांग की कि राज्य सरकार के साथ भारत सरकार भी सर्वे अलग-2 कराये ताकि कोई छुट ना पाये और सच्चाई भी सामने आये।

नेता द्वय ने भारत सरकार से मांग की है कि 6 सूत्री मांगों के निस्तारण हेतु देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव को भेजकर मांगों का निस्तारण कराने का भी सुनिश्चित करें और समय-2 पर कृषि सचिव भारत सरकार की अध्यक्षता में इन राज्यों की बैठक हो ताकि किसानों की समस्याओं का सामुचित रूप से हल हो सकें। 

नेता द्वय ने यह भी कहा कि यदि 6 सूत्री मांगों को भारत सरकार नही मानती व सभी राज्यों के मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव को समस्याओं के निस्तारण हेतु पत्र नही लिखती तो देशव्यापी आन्दोलन महासभा करेगा। जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी भारत सरकार की होगीं।