लखनऊ। 20 अप्रैल को हाशिमपुरा, मलियाना, मुरादाबाद और कानपुर सांप्रदायिक हिंसा पर गठित जांच आयोगों की रिपोर्टों को सार्वजनिक करने और सोनभद्र के कनहर मे आदिवासियों पर पुलिस फायरिंग के खिलाफ होने वाले विधानसभा मशाल मार्च की तैयारी के तहत रिहाई मंच का अभियान मछलीमोहाल और नजीराबाद में आज भी जारी रहा। मंच का मशाल मार्च कल साढ़े पांच बजे से विधानसभा गेट नंबर चार से हजरतगंज चौराहे स्थित गांधी प्रतिमा तक जाएगा। 

जनअभियान के दौरान हुई नुक्कड़ सभा में रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा आगरा में चर्च पर हुए सांप्रदायिक हमले के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की चुप्पी यह साफ करती है कि बजरंगदल जैसे हिन्दुत्वादी दंगाई संगठन आरएसएस के ही नहीं बल्कि सपा के भी अनुशांगिक संगठनों की तरह काम कर रहे हैं। फैजाबाद से लेकर मुजफ्फरनगर तक जिस तरह मस्जिदों पर हमले हुए और सपा ने दंगाईयों का संरक्षण किया उससे उनके हौसले बुलंद हैं, जो अब चर्चों पर हमले कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से भाजपा के सांसद आदित्यनाथ, निरंजन ज्योति, साक्षी महराज जैसे लोग लगातार पिछले 10 महीनों में सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने के लिए देश विरोधी भाषण दे रहे हैं, उनके खिलाफ सरकार क्यों मुकदमें दर्ज नहीं कर रही है इसका जवाब मुलायम सिंह यादव को सूबे की जनता को देना चाहिए। उन्होंने अपील कि 20 अपै्रल को होने वाले मशाल जुलूस में ज्यादा से ज्यादा लोग शामिल होकर इस अंधेरगर्दी के खिलाफ मशाल उठाएं। 

रिहाई मंच नेता लक्ष्मण प्रसाद और सैय्यद मोइद ने कहा जिस तरह से गुजरात के विकास का प्रचार कर वहां मुसलमानों का जनसंहार, किसानों की आत्महत्या और जमीन से बेदखली वाइब्रेंट गुजरात के नाम पर किया गया, ठीक उसी नक्शेकदम पर अखिलेश सरकार भी चल रही है। कनहर में हुई फायरिंग और आंदोलनरत आदिवासियों पर बर्बर लाठीचार्ज और उनके घरों को जेसीबी से नेस्तानाबूद करने वाली यह वहीं अखिलेश सरकार है जो मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा पीडि़तों के राहत कैंपों पर जेसीबी चलवाती है। इस सरकार को इससे कोई लेना-देना नहीं है कि आदिवासियों के कितने बच्चे कुपोषण की वजह से मरते हैं या फिर मुजफ्फरनगर के राहत शिविरों में ठंड से मरते हैं। रिहाई मंच इंसाफ विरोधी प्रदेश सरकार के खिलाफ इस जनअभियान के तहत इन मसलों को लगातार उठा रहा है।