रामपुर: उत्तर प्रदेश के रामपुर में सड़क चौड़ी करने को लेकर वाल्मीकि बस्ती पर की जाने वाली कार्रवाई ने राजनीतिक रंग लेना शुरू कर दिया है।

पूरा मामला तब शुरू हुआ, जब शहर के बीचोंबीच अतिक्रमित ज़मीन पर बसे वाल्मीकि परिवारों के घरों को शॉपिंग कॉम्पलेक्स के लिए जाने वाली एक सड़क बनाने के लिए तोड़ने की बात कही गई। इन लोगों को कांशीराम आवास योजना के तहत घर भी देने की बात कही गई, लेकिन ये लोग वहां जाना नहीं चाहते हैं, क्योंकि वो जगह शहर से दूर है और यहां ये पिछले 50 सालों से रह रहे हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने एक डेलीगेशन के साथ उस जगह का दौरा किया। इस टीम के सदस्यों ने वाल्मिकी समाज के लोगों और प्रशासन से बातचीत की। ये ज़मीन नगरपालिका की है, जिस पर वाल्मीकि समाज के लोग 50 साल से बसे हुए हैं। प्रशासनिक अधिकारियों ने दल को कहा है कि फिलहाल इन लोगों से घर खाली नहीं कराया जाए।

शबनम के मुताबिक, ज़मीनी हालात का जाएज़ा लेने के बाद उन लोगों को लगा कि इस सब विवाद के पीछे राजनैतिक लोगों का हाथ था, जो हिंदू-मुसलमान का झगड़ा पैदाकर माहौल ख़राब करना चाहते थे।

 ज्ञात हुआ  है कि अपनी मांगों के साथ अनशन पर बैठे लोगों को कुछ स्थानीय नेताओं और मीडिया के लोगों ने भी उकसाने का काम किया। इन लोगों ने कथित तौर पर कहा कि अगर आप ऐसी बात बोलोगे कि आप लोगों पर धर्म परिवर्तन का दबाव है, तो ये एक राजनैतिक मामला बन जाएगा और आपके घर बच जाएंगे।  

धर्म परिवर्तन की बात सामाजिक और सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने के लिए कुछ लोगों द्वारा उठाई गई है। असल में जिन घरों पर निशान लगाने की बात कही गई है वो नगरपालिका द्वारा 9 महीने पहले ही लगाई गई थी, उन घरों को चिन्हित करने के लिए जो नगरपालिका की ज़मीन पर बने हुए थे। दूसरी तरफ़ मुसलमानों के घर हैं, उन पर निशान पहले ही लग चुके थे। उस वक्त़ काफ़ी विरोध होने के कारण वाल्मीकियों के घरों पर निशान नहीं लगे थे।

शबनम ने कहा कि ये पूरी तरह से शहर के विस्तार की योजना के तहत किया जा रहा है, जिसमें हिंदू और मुसलमान दोनों के घर तोड़े गए हैं, ऐसे में इस मामले को जो सांप्रदायिक रंग देने की जो कोशिश की जा रही है, वो असामाजिक तत्वों द्वारा की गई ख़ुराफ़ात है। जो लोग इस मामले को राष्ट्रीय स्तर पर सांप्रदायिक और धार्मिक रंग देना चाहते हैं वही इन्हें धर्म बदलने का लालच दे रहे हैं।

शबनम के अनुसार, ये पूरा मामला बैठकर प्रशासन और लोगों के बीच बातचीत के ज़रिए सुलझाने की है। वाल्मीकि समाज के लोगों ने कहा कि यहां पार्किंग कॉम्पलेकस बन रहा है, लेकिन इस डेलीगेशन द्वारा पता करने पर पता चला कि मामला वो भी नहीं है, बात सिर्फ़ इतनी है कि जो ग़रीब आदमी है, उसे मुख्य़धारा से उठाकर दूर फेंकने की नीति चल रही है, जिसका सभी विरोध करते हैं। इस पूरे अभियान के पीछे की मानसिकता ग़रीबों को दूर फेंकने की है, ना कि उनके साथ धर्म के नाम पर भेदभाव करने की।

उन्होंने कहा कि इसे धार्मिक और सांप्रदायिक मुद्दा वहाँ बैठे कुछ असामाजिक और सांप्रदायिक तत्वों ने बनाया है। प्रशासन अगर चाहे तो इन्हें बग़ैर हटाए भी शॉपिंग कॉम्प्लेक्स तक जाने का रास्ता बड़े आराम से बना सकता है, इतनी जगह है वहां।

शबनम के मुताबिक, “वाल्मीकि समाज के लोगों का कहना है कि धर्म परिवर्तन की बात उस व्यक्ति ने की थी, जो उनके घर निशान लगाने आया था, जो ज़ाहिर है एक छोटा कर्मचारी होगा। जिसने ये ख़ुराफ़ात किया, वह ना तो ऐसा कुछ करने के लिए प्रेशर डाल सकता है, ना ही आश्वासन दे सकता है। स्थानीय डीएम से उसकी शिकायत कर दी गई है, जिसके बाद उन्होंने उसके ख़िलाफ़ कदम उठाने का भी आश्वासन दिया है।”