मुंबई : भारत में मुस्लिमों से मताधिकार वापस लेने की मांग कर आलोचनाओं के निशाने पर आए शिवसेना सांसद संजय राउत ने मंगलवार को यू.टर्न लेते हुए कहा कि मीडिया ने उनकी टिप्पणियों का ‘गलत मतलब निकाला’ और अल्पसंख्यक समुदाय का वोट डालने का अधिकार छीनना असंवैधानिक है।

राउत ने आज औरंगाबाद में संवाददाताओं से कहा, ‘मैंने (पार्टी मुखपत्र सामना में) यह नहीं लिखा कि मुस्लिमों से मताधिकार वापस ले लेना चाहिए। मैंने सिर्फ इतना कहा कि अगर उन्हें वोट देने की अनुमति नहीं दी जाए तो मुस्लिमों का प्रयोग राजनीतिक अवसरवादिता के लिए नहीं किया जाएगा।’

उन्होंने कहा, ‘मैंने नहीं कहा कि मुस्लिमों को उनके मताधिकार से वंचित कर देना चाहिए। मीडिया को दिन के लिए कुछ खबर चाहिए थी और उन्होंने मेरे बयान का गलत मतलब निकाला।’ राउत ने ‘सामना’ के रविवार के अंक में एक लेख लिखकर सियासी तूफान मचा दिया था जिसमें उन्होंने राजनीतिक दलों द्वारा मुस्लिमों का वोटबैंक के रूप में उपयोग बंद करने के लिए मुस्लिमों का मताधिकार खत्म करने की मांग की थी।

राउत ने एक हस्ताक्षरित संपादकीय में कहा था, ‘मुस्लिमों के साथ हुए अन्याय से लड़ने के नाम पर वोटबैंक की राजनीति की जा रही है। उनकी शैक्षिक तथा स्वास्थ्य स्थिति का उपयोग राजनीति के लिए किया जा रहा है। यह राजनीति पहले कांग्रेस ने की, लेकिन अब हर दूसरा व्यक्ति खुद को धर्मनिरपेक्ष बताता है।’ उन्होंने कहा था, ‘अगर मुस्लिमों का प्रयोग केवल इस तरह की राजनीति के लिए किया जा रहा है, तो उनका कभी विकास नहीं हो सकता। मुस्लिमों का प्रयोग जब तक वोटबैंक की राजनीति के लिए किया जाएगा तब तक मुस्लिमों का कोई भविष्य नहीं होगा और इसलिए बालासाहेब (शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे) ने एकबार कहा था कि मुस्लिमों से मताधिकार वापस ले लो। जो उन्होंने कहा था वह सही है।’