लखनऊ । राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय सचिव अनिल दुबे ने शिवसेना द्वारा अपने मुख पत्र सामना में देश  के मुसलमानों से मताधिकार छीनने की बात कहे जाने पर प्रतिक्रिया देते हुये कहा कि शिवसेना ने ऐसा बयान देकर न केवल धार्मिक उन्माद को भड़काने का काम किया है बल्कि भारतीय संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन कर भारतीय संविधान के अनुसार राजनीतिक लोकतंत्र की हत्या की है। उन्होंने कहा कि ऐसी बयानबाजी करने वाले नेताओं को देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए। 

आज जारी बयान में श्री दुबे ने कहा कि भारत देश में सभी धर्म और जाति के लोगों समान रूप से अधिकार प्राप्त हैं लेकिन कुछ पार्टी के नेताओं द्वारा धर्म और जाति के नाम पर लोगों के अन्दर उन्माद पैदा कर राजनीतिक स्वार्थ को सिद्व करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि देश के मुस्लिम समाज के लोगों ने देश की आजादी में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था और देश  को आजाद कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भारत का संविधान सभी जाति और धर्म के लोगो को बराबरी का दर्जा देता है और उस अधिकार को कोई छीन नहीं सकता। शिवसेना जैसे राजनैतिक संगठन कभी उत्तर भारतीयों को महाराष्ट्र से निकालने की बात करते हैं तो कभी मुसलमानों को मताधिकार से वंचित कर समाज में वैमनष्यता फैलाने का काम करते हैं। ऐसे राजनैतिक दलों को चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित कर देना चाहिए। जिनका भारतीय संविधान में विश्वास ही न हो ।  

श्री दुबे ने देश के राष्ट्रपति, मुख्य चुनाव आयुक्त तथा मुख्य न्यायाधीश से शिवसेना द्वारा इस तरह के बयानों का संज्ञान लेने का अनुरोध करते हुये कहा है कि ऐसे दलों की मान्यता समाप्त करने का निर्देष दें जो देश में साम्प्रदायिकता का जहर घोलने का काम कर रही है क्योंकि चुनाव लड़ने का अधिकार भी भारतीय संविधान में ही निहित है और शिवसेना का उसमें विश्वास नहीं है।