निजी अस्पतालों के लिए सुप्रीम कोर्ट का फरमान जारी 

नई दिल्ली : तेजाब हमलों का शिकार हुए लोगों के हित में एक अहम आदेश देते हुए उच्चतम न्यायालय ने आज देश भर के निजी अस्पतालों के लिए फरमान जारी किया कि वे ऐसे पीड़ितों को दवाएं मुहैया कराने और महंगी सर्जरियां करने सहित उनका पूरा इलाज नि:शुल्क करें ।

न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति यू यू ललित की सामाजिक न्याय पीठ ने सभी राज्य सरकारों एवं केंद्र शासित प्रदेशों से कहा कि वे इस मुद्दे को ‘निजी अस्पतालों के समक्ष उठाएं’ ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि तेजाब हमलों के पीड़ितों का तुरंत और पर्याप्त इलाज हो । पीठ ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से भी कहा कि वह नि:शुल्क इलाज का यह मुद्दा निजी अस्पतालों के सामने उठाए ।

तेजाब हमले की पीड़ित लक्ष्मी की ओर से 2006 में दाखिल एक जनहित याचिका का निपटारा करते हुए न्यायालय ने अस्पतालों, जहां तेजाब हमलों के बाद पीड़ितों को ले जाया जाता हो, से कहा कि उन्हें एक प्रमाण-पत्र जारी कर कहना होगा कि व्यक्ति तेजाब हमले का पीड़ित है और फिर उस दस्तावेज से वह सर्जरी सहित नि:शुल्क इलाज करा सकेगा ।

देश में काउंटर से इतर तेजाब की बिक्री पर पाबंदी के बाबत न्यायालय ने सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों से कहा कि इसकी नियमन-रहित बिक्री पर रोक के लिए वे तेजाब को एक ‘अनुसूचित पदार्थ’ के तौर पर अधिसूचित करें ।

न्यायालय ने यह भी कहा कि उसका आदेश सभी राज्यों के मुख्य सचिवों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को भेजा जाए और बदले में वे यह सुनिश्चित करेंगे कि यह आदेश अमल की खातिर जिलाधिकारियों तक पहुंचे । पीठ ने इन अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे इस बारे में लोगों के बीच जागरूकता सुनिश्चित करने के लिए इसका प्रचार-प्रसार करें।

ऐसे मामलों में तीन लाख रूपए का न्यूनतम मुआवजा तय करने वाली पीठ को सुनवाई के दौरान केंद्र की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह द्वारा बताया गया कि लगभग सभी राज्य सरकारों ने पीड़ित मुआवजा योजना लागू कर दी है । पीठ ने जब पूछा कि क्या आंध्र प्रदेश या तेलंगाना ने मुआवजा योजना लागू की है, इस पर तेलंगाना के वकील कृष्ण कुमार सिंह ने कहा कि जरूरी कार्रवाई कर ली गई है ।