इस्लामाबाद : पाकिस्तान की संसद ने यमन युद्ध में सैन्य संलिप्तता के खिलाफ शुक्रवार को सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करते हुए इस्लामाबाद से हुथी विद्रोहियों के खिलाफ गठबंधन बल का हिस्सा बनने के सऊदी अरब के आह्वान को खारिज कर दिया।

सऊदी अरब ने पाकिस्तान से कहा था कि वह यमन में हुथी व्रिदोहियों के खिलाफ 10 देशों की ओर से चलाए जा रहे संयुक्त अभियान के लिए सैनिक, विमान और युद्धपोत मुहैया कराए। प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने सांसदों से सलाह मांगी थी।

बीते सोमवार को संसद का संयुक्त सत्र बुलाया गया था और यमन के हालात एवं सऊदी अरब के आग्रह पर चार दिनों तक चर्चा की गई। इसके बाद आज सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया।

प्रस्ताव में कहा गया है, ‘पाकिस्तान को इस संघर्ष में तटस्थता बरतनी चाहिए ताकि वह इस संकट को खत्म करने में अतिसक्रिय राजनयिक भूमिका निभा सके।’ संसद में पारित प्रस्ताव का मतलब यह हुआ कि पाकिस्तान अब यमन के भीतर युद्ध का हिस्सा नहीं बनेगा।

बहरहाल, प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान को सऊदी अरब की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए रियाद के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहने चाहिए। इसमें सऊदी अरब के प्रति पूरा समर्थन व्यक्त किया गया है।

पाकिस्तानी संसद से पारित प्रस्ताव में कहा गया है, ‘हरमैन शरिफैन’ (दो पाक मस्जिदों) को कोई खतरा होने अथवा सऊदी अरब की क्षेत्रीय अखंडता के किसी उल्लंघन की स्थिति में पाकिस्तान सऊदी अरब और वहां के लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होगा।’ सांसदों ने यमन के संबंधित पक्षों का आह्वान किया कि वे मतभेदों को शांतिपूर्ण ढंग से और बातचीत के जरिए दूर करें।

प्रस्ताव में यमन में बिगड़ते हालात को लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहा गया है कि यह संघर्ष फैल सकता है और पूरे क्षेत्र को अस्थिर सकता है। पाकिस्तानी संसद में वित्त मंत्री इसहाक डार ने प्रस्ताव पेश किया। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि सरकार को यमन में तत्काल संघर्ष विराम सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र और इस्लामिक सहयोग संगठन का रुख करना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों का अनुमान है कि यमन में मार्च महीने से तेज हुए संघर्ष में 560 से अधिक लोग मारे गए हैं।