फर्जी मुठभेड़ो के खिलाफ गांधी प्रतिमा पर विरोध प्रदर्शन 9 अप्रैल को 

लखनऊ । तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में पुलिस द्वारा किए गए फर्जी मुठभेड़ को रिहाई मंच ने जनसंहार कहते हुए इसे गुजरात माॅडल का एक और नमूना करार दिया है। मंच ने आरोप लगाया है कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह जिनके हाथ मिर्जापुर के भवानीपुर समेत विभिन्न जनसंहारों में बेगुनाहों के खून से रंगे हुए हैं के इशारे पर ही दो दिनों पहले तेलंगाना के नालगोंडा में दो लड़कों को व वारंगल में पांच लड़कों जिन्हें पेशी पर ले जाते हुए हत्या की गई तो वहीं आंध्र प्रदेश के चित्तूर में गरीब मजदूरों को चंदन तस्कर बताकर मारा गया। 

रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा है कि तेलंगाना में जिन पांच लड़कों की पेशी के दौरान ले जाते हुए मुठभेड़ के नाम पर पुलिस ने हत्या की उसमें एक लड़का विकारुद्दीन था जिसपर मोदी को मारने को षंडयंत्र रचने का आरोप था, के मुकदमें से उसके छूटने की जल्द आशा थी। ऐसे में देश के खुफिया व सुरक्षा एजेंसियों के मुंह पर यह तमाचा होता कि देश में कैसे बेगुनाहों को फंसाकर लोग सत्ता हासिल करते हैं। ऐसे में इससे निपटने के लिए एजेंसियों ने विकारुद्दीन समेत मोहम्मद हनीफ, सैयद अमजद अली, इजहार खान और मोहम्मद जाकिर की फर्जी मुठभेड़ के नाम पर हत्या कर दी। उन्होंने कहा कि तेलंगाना के वारंगल में मारे गए लड़कों में से एक इजहार लखनऊ का है, जिसे अक्टूबर 2010 में यूपी एटीएस ने अवैध रूप से गिरफ्तार कर फर्जी मुकदमें में फसाने के लिए आंध्र प्रदेश पुलिस को दे दिया था, ऐसे में मुख्यमंत्री की यह जिम्मेदारी है कि मृतक के शव को लखनऊ लाकर परिजनों को सौंपे और इस मामले के तथ्यों की जानकारी के लिए त्वरित एक जांच दल गठित कर तेलंगाना भेजंे। 

अधिवक्ता रणधीर सिंह सुमन ने कहा कि इस घटना की जो तस्वीरें आई हैं उसमें साफ देखा जा सकता है कि मृतकों के हाथों में हथकडि़यां लगी हैं जो कुर्सी से बंधी हैं। ऐसे में यह कैसे हो सकता है कि कोई लड़का किसी पुलिस वाले से उसका असलहा छीन सकता हो। तस्वीरें साफ कह रही हैं कि मारने के बाद हत्यारे पुलिस वालों ने उसके हाथ में असलहा पकड़ाने की कोशिश की। यह जघन्य हत्या ठंडे दिमाग से की गई इसकी पुष्टि इससे भी हो जाती है कि कुछ दिनों पहले ही जब उन्हें वारंगल से हैदराबाद पेशी के लिए ले जाया जा रहा था तब अचानक हाई वे पर गाड़ी रोककर कैदियों की सुरक्षा में लगे पुलिस कर्मियों ने उन्हें गाड़ी से निकालकर भागने को कहा जिसपर फर्जी मुठभेड़ में मार देने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए कैदियों ने ऐसा करने से इंकार कर दिया था। जिसके बाद कैदियों को बुरी तरह पीटा गया था जिसकी शिकायत उन्होंने अदालत में भी की थी जिसके सारे दस्तावेज अदालत में मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि इस जघन्य हत्याकांड में पुलिस के साथ ही अदालत भी बराबर की दोषी है क्योंकि मारे गए लोगों ने कई बार अदालत में अर्जी देकर यह आशंका व्यक्त की थी कि उन्हें किसी भी दिन पेशी पर लाते हुए पुलिस उन्हें मार देगी, इसलिए उन्हें हैदराबाद जेल में ही रखा जाए। लेकिन अदालत ने उनकी इस मांग को न मानकर उनके फर्जी मुठभेड़ में मारे जाने का रास्त साफ कर दिया। उन्होंने मांग की कि इस मामले से जुड़े जज को भी तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर उन्हें जांच के दायरे में लाया जाए।

रिहाई मंच नेता अनिल यादव ने कहा कि आंध्र प्रदेश के चित्तूर में जिस तरीके से चंदन तस्कर के नाम पर 20 बेगुनाह मजदूरों की हत्या कर दी गई उसने यह साफ कर दिया कि देश में मजदूरों-किसानों-मजलूमों की हत्या की खुली छूट दे दी गई है। एक तरफ तो किसान-मजदूर आत्महत्या कर रहा है वहीं दूसरी तरफ चित्तूर में जिस तरीके से मजदूरों को बंधक बनाकर उनकी हत्या की गई जिसकी पुष्टि इस बात से भी होती है कि कईयों के हाथ पीछे की तरफ ही बंधी अवस्था में थे, वह साफ करता है कि चंदन तस्करी के नाम पर हुए इस सबसे बड़े जनंसहार के पीछे सरकार का संरक्षण है। इस फर्जी मुठभेड़ के बाद वहां पड़े शवों से बदबू आने की बात साफ कर रही है कि इन मजदूरों को कहीं से मारकर लाया गया था। 

रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज आलम ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से कहा कि जिस तरीके से तेलंगाना में जनसंहारों का सिलसिला चल रहा है और उनके सूबे की राजधानी के एसएसपी यशस्वी यादव जैसे लोगों का तेलंगाना के दोषी पुलिस कर्मियों से संबन्ध सामने आ रहा है वह साफ कर रहा है कि मौलाना खालिद के हत्यारे पुलिस अधिकारियों को सपा सरकार द्वारा बचाने के बाद उनके हौसले बुलंद हैं। जिस तरीके से एटीएम लूटकांड को उन बेगुनहों, जिन्हें तेलंगाना में मारा गया के सर मढ़ने की कोशिश के चलते नालगोंडा के एसपी प्रभाकर राव को हटाया गया उसी तरह से प्रदेश सरकार तत्काल एसएसपी यशस्वी यादव और एएसपी ट्रांस गोमती दिनेश यादव को निलंबित करे। 

रिहाई मंच के प्रवक्ता ने कहा कि कल 9 अपै्रल को तेलंगाना व आंध्र प्रदेश समेत पूरे देश में चल रहे राज्य प्रायोजित पुलिसिया जनसंहार के खिलाफ व इन सभी की सुप्रीम कोर्ट के जज की निगरानी में सीबीआई जांच की मांग को लेकर विभिन्न सामाजिक व राजनीतिक संगठनों के लोग गांधी प्रतिमा हजरतगंज लखनऊ पर शाम 4 बजे प्रदर्शन करेंगे।