नई दिल्‍ली : मलेशिया के इपोह में में रविवार से शुरू हो रहे अज़लान शाह कप हॉकी टूर्नामेंट में भारत सहित दुनिया की छह उम्दा टीमें हिस्सा ले रही हैं। क़रीब डेढ़ साल बाद शुरू होने वाले रियो ओलिंपिक्स के लिए इसे भारतीय तैयारी की शुरुआत भी माना जा रहा है।

ख़ासकर इसलिए भी हॉकी टीम ने अपने मिशन ओलिंपिक्स के लिए एक कामयाब डच को नियुक्त किया है। लंदन ओलिंपिक्स में हॉलैंड को सिल्वर मेडल दिलानेवाले 54 साल के डच कोच पॉल वैन हाल के सामने शायद इस वक्त हॉकी की शायद सबसे मुश्किल चुनौती है।

राजनीति से उलझती हुई हॉकी और ओलिंपिक्स में नाकामी के क़रीब 35 साल बाद उनसे भारतीय टीम को पोडियम पर पहुंचाने की उम्मीद की जा रही है। वो इस चुनौती की गंभीरता को समझते हैं। लेकिन फ़िलहाल उनके सामने इम्तिहान ये है कि वो अज़लान शाह कप के दौरान भारतीय टीम की ताक़त और कमज़ोरियों का आकलन कर आगे की योजना बना सकें। साथ ही इस दौरान टीम हॉकी इंडिया भी उनका आकलन कर आपस में तालमेल बिठाने की कोशिश करेगी।

डच कोच पॉल वैन हास सावधानी बरतते हुए कहते हैं कि भारत में काम करना अच्छा या बुरा नहीं बल्कि अलग है। वो कहते हैं कि एक विदेशी कोच होने के नाते उन्हें भारतीय हॉकी तंत्र से तालमेल बिठाने की ज़रूरत होगी। हॉकी इंडिया के हाई परफ़ोरमेंस डायरेक्टर रोलेंट ऑल्टमैन्स कहते हैं भी मानते हैं कि ये टूर्नामेंट के दौरान कोच और खिलाड़ी दोनों के लिए एक-दूसरे से तालमेल बिठाने का अच्छा मौक़ा है।

छह देशों के इस टूर्नामेंट में भारत को अपना पहला मैच 5 अप्रैल यानी रविवार को को द. कोरिया से खेलना है। इसके बाद भारत की टक्कर न्यूज़ीलैंड, मलेशिया, कनाडा और फिर आठ बार की चैंपियन ऑस्ट्रेलियाई टीम से होगी। 12 तारीख़ को टूर्नामेंट के क्लासिफ़िकेशन मैच खेले जाएंगे।

अज़लान शाह कप में भारत की चुनौती

5 अप्रैल :       भारत vs द.कोरिया

6 अप्रैल :       भारत vs न्यूज़ीलैंड

8 अप्रैल :       भारत vs मलेशिया

9 अप्रैल :       भारत vs कनाडा

11 अप्रैल :     भारत vs ऑस्ट्रेलिया

12 अप्रैल :    क्लासिफ़िकेशन मैच

टीम के कप्तान सरदार सिंह और सीनियर ड्रैग फ़्लिकर भी हॉकी को लेकर दावे करने से बच रहे हैं। वे मानते हैं कि नए सीज़न में टीम हॉकी इंडिया को खेल के कई पहलुओं को ठीक करने की ज़रूरत है। कोच पॉल वैन हास पिछले एक दशक के वक्त में भारतीय हॉकी से जुड़ने वाले सातवें विदेशी कोच हैं।

खिलाड़ी ये तो मानते हैं कि बार-बार कोच के बदलाव से टीम पर असर तो पड़ता है। लेकिन खिलाड़ियों को लगता है कि तमाम विवाद और घटनाओं के बावजूद टीम हॉकी इंडिया के पास खुद को संवारने का अच्छा वक्त है। 2014 में हॉकी इंडिया के बेहतरीन गोलकीपर चुने गए टीम के उपकप्तान पीआर श्रीजेश कहते हैं कि बार-बार कोच के बदलाव से टीम के खेल पर फ़र्क तो पड़ता है।

लेकिन वो मानते हैं कि अगले डेढ़ साल के वक्त में टीम को इतने मैच खेलने हैं कि खिलाड़ियों का अनुभव हासिल करने का फ़ायदा मिलेगा और टीम की तैयारी अच्छी हो सकेगी। 2014 के टीम के बेहतरीन खिलाड़ी के ख़िताब से नवाज़े गए बिरेन्द्र लाकड़ा भी मानते हैं कि कोच के कई बार बदलाव से फ़र्क तो पड़ता है, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि अगले 17-18 महीनों में टीम मौजूदा डच कोच के साथ अच्छी तैयारी कर सकेगी।

पांच बार की चैंपियन टीम हॉकी इंडिया ने ये टूर्नामेंट आख़िरी बार 2010 में अपने नाम किया था। इस बार इस टूर्नामेंट में भारतीय टीम कहां तक पहुंचेगी इससे इस बात की परख़ हो जाएगी कि टीम कितने पानी में है और अगले डेढ़ साल में रियो के लिए तैयार होने से पहले टीम इंडिया को कितनी मेहनत करनी होगी।