लखनऊ: कैण्ट विधायक प्रो0 रीता बहुगुणा जोशी ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि डी.जी.पी  ए. के. जैन  को सरकार द्वारा 3 महीने का सेवा विस्तार कैसे दे दिया गया। उन्होने ने कहा कि 2009 में जब उनका घर जलाया गया था उस समय ए. के. जैन, आई. जी थें और सी.बी.सी.आई.डी. की विवेचना में यह बात भी साबित हो गयी है कि यह कांण्ड उनकी जानकारी में हुआ था उन्हे घर जलाने की जानकारी रात 10ः30 बजे मिल गयी थी परन्तु वो रात 12ः30 बजे तक घटना स्थल पर नही पहुंचें। सी.बी.सी.आई.डी. के रिकार्ड में यह भी दर्ज है कि उन्होने इस कांण्ड को संरक्षण दिया तथा कांण्ड के उपरान्त किसी भी पुलिसकर्मी से पूछताछ नही कि और ना ही कांण्ड के अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर उनसे पूछताछ की। सी.बी.सी.आई.डी. के जांच में यह भी अंकित है कि अन्य अधिकारीयों समेंत  ए. के. जैन भी इस विभत्स घटना के जिम्मेदार है इसलिए सी.बी.सी.आई.डी. ने 30 मार्च 2015 को सचिव गृह को पत्र लिखकर ए. के. जैन के विरूद्व अभियोजन की कार्यवाही की अनुमति मांगी थी। 

प्रो0 जोशी ने कहा कि बी.एस.पी. शासन के दौरान उनके निवास पर की गई आगजनी पुलिसकर्मीयों एवं आरोपियों के बीच मिलीभगत का नतीजा थी। इस काण्ड की हाई कोर्ट के आदेश के उपरान्त समाजवादी पार्टी की सरकार ने सी.बी.सी.आई.डी द्वारा 2009 में जांच शुरू की गयी जो 2012 में पूरी कर ली थी। 19 मार्च 2015 को प्रो0 जोशी के कई प्रयासों के बाद जिसमें दो बार उन्होने उत्तर प्रदेश विधान सभा सदन मे भी इस विषय को उठाया था, सी.बी.सी.आई.डी. द्वारा एफ.आई.आर. दर्ज की गयी तथा एस.एस.पी. समेत 18 पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज किया गया। प्रो0 जोशी ने कहा की उन्हे आस बंधी थी कि अब उनके साथ न्याय होगा परन्तु सरकार  ए. के. जैन के सेवा विस्तार के इस निर्णय ने प्रो0 जोशी को बहुत निराश किया है तथा सरकार की न्यायप्रियता पर प्रश्न चिह्नन लगा है। उन्होने कहा कि यदि एक महिला विधायक तथा एक राष्ट्रीय पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तथा वर्तमान में कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता का इस प्रकार का मजाक किया जायेगा तो फिर प्रदेश की जनता को कैसे विश्वास हो कि सरकार पुलिस की सोच व कार्यशैली में परिवर्तन करना चाहती है। 

प्रो0 जोशी ने कहा कि उनके संज्ञान में है कि जब उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ए. के. जैन के सेवा विस्तार का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा गया तो डी.ओ.पी.टी. ने सेवा विस्तार देने से इंकार कर दिया था। इसी प्रकार संघ लोक सेवा आयोग के सचिव ने भी प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया था। परन्तु सरकार की पुनः मध्यस्थता से यह अनुमति दी गयी। 

 प्रो0 जोशी ने कहा कि पुलिस अधिक्षक सी.बी.सी.आई.डी. ने सचिव गृह उत्तर प्रदेश को 30 मार्च 2015 को लिखे पत्र में  ए.के.जैन समेत अनेक पुलिस अधिकारीयों पर अभियोजन कार्यवाही की अनुमति मांगी है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह पत्र मुख्यमंत्री से छिपाया गया और यदि ऐसा नही हुआ है तो यह बहुत अफसोस की बात है कि अभियोजन कार्यवाही की अनुमति देने के बजाय उनका सेवा विस्तार किया गया । 

प्रो0 जोशी ने कहा कि वे पत्र लिख कर मुख्यमंत्री से मांग कर रही है कि ए.के.जैन को दिये गये सेवा विस्तार को रद् करते हुए सी.बी.सी.आई.डी. को अभियोजन कार्यवाही प्रारम्भ करने की अनुमति दे। उन्होने कहा कि वो अपने वकिलों से भी इस सम्बंध में मशवरा करेंगी।