लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि वर्तमान भाजपा नीति केन्द्रीय सरकार ने जानबूझकर सरकार का पक्ष मजबूती से  उच्चतम न्यायालय के समक्ष नहीं रखा फलस्वरूप अदालत ने जाटों को दिये जाने वाले आरक्षण को निरस्त कर दिया है। उन्होंने कहा कि यदि केन्द्र सरकार जाटों के राजनैतिक आर्थिक व सामाजिक पिछडे़पन का वर्णन व्यवहारिक ढंग से किया होता तो उच्चतम न्यायालय पूर्व में किये गये आरक्षण से सहमत रहता परन्तु वर्तमान सरकार ने साजिश के तहत सुस्त पैरवी करके उक्त आरक्षण को निरस्त करवा दिया।

चौहान ने कहा कि पिछली केन्द्र सरकार ने नौ राज्यों के जाटों को अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल किया था जिसके आधार पर जाट वर्ग को केन्द्रीय नौकरी और उच्च शिक्षा में ओबीसी वर्ग को मिलने वाले 27 फीसदी आरक्षण का लाभ दिया जा सके। पूर्व केन्द्र सरकार के इस फैसले को स्थगित करने के लिए भी सर्वोच्च न्यायालय में कई याचिकाएं दायर की गई थी परन्तु चौ. अजित सिंह की मजबूत पैरवी से उच्चतम न्यायालय ने स्थगन आदेश देने से मना कर दिया था। इसी तरह यदि वर्तमान सरकार भी जाट आरक्षण सही ढंग से उच्चतम न्यायालय के सामने सबित करता तो जाटों के लाखों नौजवानों के साथ अन्याय न होता।

चौहान ने कहा कि राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौ. अजित सिंह कानूनी पहलुओं का परीक्षण कर रहे हैं तथा राष्ट्रीय लोकदल जाटों को उनका हक दिलानें के लिए उच्चतम न्यायालय के समक्ष पुर्नविचार याचिका दायर करने की सम्भावनाओं को तलाश रहा है।