लखनऊ: इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फंड (आईसीपीएफ) ने कहा कि कोविड-19 लॉकडाउन लागू होने के बाद से भारत में चाइल्ड पोर्नोग्राफी सामग्री की मांग में अप्रत्‍याशित और खतरनाक वृद्धि हुई है। इस दौरान लखनऊ चाइल्ड पोर्नोग्राफी सामग्री की “सबसे अधिक मांग वाले” शहरों में शुमार हो गया है। इससे यहां बच्चों के यौन शोषण का खतरा बढ़ गया है। अगर चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर रोक नहीं लगी तो इससे बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों में भारी वृद्धि हो सकती है।

सोशल इम्‍पैक्‍ट फंड की रिपोर्ट बताती है कि लॉकडाउन के बाद से ऑनलाइन डेटा मॉनिटरिंग वेबसाइट दिखा रही है कि “चाइल्ड पोर्न”, “सेक्सी चाइल्ड” और “टीन सेक्स वीडियो” जैसी खोजों की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि हो रही है। दुनिया की सबसे बड़ी पोर्नोग्राफी वेबसाइट ‘’पोर्नहब’’ के डेटा से यह भी पता चलता है कि भारत में उनका औसत ट्रैफिक, कोरोना काल से पहले की तुलना में 24 से 26 मार्च 2020 के बीच 95 प्रतिशत बढ़ा है।

इंडिया चाइल्‍ड प्रोटेक्‍शन फंड ने सख्‍त चेतावनी देते हुए कहा कि इससे लाखों पीडोफाइल, बाल बलात्कारी और चाइल्‍ड पोर्नोग्राफिक एडिक्‍टस को ऑनलाइन सामग्री की आपूर्ति हो रही है, जिससे बच्चों के लिए इंटरनेट इन दिनों बेहद असुरक्षित हो गया है। इसलिए समय रहते अगर इस पर कठोर कार्रवाई नहीं की जाती है, तो बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों में भारी वृद्धि हो सकती है।

इस पर चिंता जताते हुए इंडिया चाइल्‍ड प्रोटेक्‍शन फंड की प्रवक्‍ता सुश्री निवेदिता आहूजा ने कहा, “यह एक ओर जहां माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का घोर उल्लंघन है, वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय नीति का भी उल्लंघन है। पोर्नोग्राफिक वेबसाइट केवल अपने वेबसाइट का यूआरएल (URL) बदलकर भारतीय कानून और न्यायपालिका के साथ लुका-छिपी का खेल खेल रही हैं।‘’ सुश्री आहूजा ने बच्चों को यौन शोषण से बचाने के लिए सरकार को सुझाव देते हुए कहा, “भारत सरकार को चाइल्ड पोर्नोग्राफी के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए और बाल यौन शोषण सामग्री के खिलाफ इंटरनेशनल कन्‍वेंशन के लिए वैश्विक स्तर पर बातचीत शुरू करनी चाहिए।”

इस मुद्दे पर भारत के उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू द्वारा गठित राज्यसभा की समिति ने जियो और एयरटेल जैसी इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनियों के लिए कड़े कानून बनाने की सिफारिश की है। साथ ही समिति ने फेसबुक, ट्विटर और इंस्‍टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को जवाबदेह बनाने की सिफारिश करते हुए कहा कि उनकी जिम्‍मेदारी होनी चाहिए कि वे किसी भी सूरत में अपने प्लेटफार्म पर कोई ऐसी सामग्री शेयर न होने दें, जिससे बाल दुर्व्यवहार और यौन शोषण को बढ़ावा मिले। इंडिया चाइल्‍ड प्रोटेक्‍शन फंड इन सिफारिशों को तत्काल लागू करने की आवश्यकता पर बल देता है।

गौरतलब है कि इंडिया चाइल्‍ड प्रोटेक्‍शन फंड ने ‘’चाइल्ड सेक्सुअल अब्यूज़ मटेरियल इन इंडिया’’ शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है, जो भारत के 100 शहरों जैसे नई दिल्ली, चेन्नई, मुंबई, कोलकाता, भुवनेश्वर और इंदौर में चाइल्ड पोर्नोग्राफी के हाल पर एक शोध है। शोध के मुताबिक पाया गया कि दिसंबर 2019 के दौरान पब्लिक वेब पर 100 शहरों में चाइल्‍ड पोर्नोग्राफी सामग्री की कुल मांग औसतन 50 लाख प्रति माह थी, जिसमें अब वृद्धि हो गई है। रिपोर्ट में हिंसक सामग्री की मांग में 200 प्रतिशत तक की वृद्धि का खुलासा किया गया है, जो बच्चों के प्रति ‘’चोकिंग", "ब्‍लीडिंग" और "टोर्चर" को दिखाता है। इससे पता चलता है कि भारतीय पुरुष सामान्य बाल पोर्नोग्राफी से संतुष्ट नहीं हैं और वे हिंसक और बर्बर सामग्री की मांग कर रहे हैं।