नई दिल्ली: नौकरी और प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे पर राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। आज यानी सोमवार को संसद की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियों ने केंद्र पर आरक्षण खत्म करने के आरोप लगाए। वहीं, संसद के बाहर राहुल गांधी ने बीजेपी-आरएसएस को आड़े हाथों लिया। यही नहीं बीजेपी की सहयोगी पार्टी एलजेपी और अपना दल ने भी सरकार से सुप्रीम कोर्ट का फैसला बदलने की मांग की।

वहीं, केंद्र सरकार ने साफ किया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उसका कोई लेना-देना नहीं है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कहा कि यह अत्यंत संवेदनशील मुद्दा है और कांग्रेस का ऐसे मुद्दे पर राजनीति करना ठीक नहीं है। साथ ही, उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत जवाब देंगे।

थावर चंद गहलोत ने लोकसभा में जवाब देते हुए कहा कि केंद्र सरकार इस मामले में पक्ष नहीं है। साथ ही गहलोत ने यह भी कहा कि यह आदेश 2012 के उत्तराखंड सरकार के फैसले पर दिया गया है जब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी। इस बयान पर आपत्ति जताते हुए कांग्रेस के सांसद सदन से वॉकआउट कर गए।

वहीं, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने अपनी बात रखने की कोशिश की, लेकिन अनुमति नहीं मिलने पर वह और कांग्रेस के अन्य सदस्य सदन से वॉक आउट कर गए।

सदन में लोक जनशक्ति पार्टी, जनता दल यूनाइटेड और अपना दल जैसे केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए के घटक दलों ने विपक्ष के आरोपों को खारिज किया और साथ ही शीर्ष अदालत के फैसले से असहमति व्यक्त करते हुए सरकार से आरक्षण के विषय को संविधान की 9वीं अनुसूची में डालने की मांग की।

एलजेपी के चिराग पासवान ने कहा कि आरक्षण कोई खैरात नहीं है बल्कि यह संवैधानिक अधिकार है। इस विषय पर उच्चतम न्यायालय के फैसले से वह असहमति व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए। आरक्षण से जुड़े सभी विषयों को संविधान की 9वीं अनुसूची में डाल दिया जाए ताकि इस विषय पर बहस समाप्त हो जाए।

चिराग ने कहा कि विपक्ष का सरकार को दलित विरोधी बताना ठीक नहीं है और एनडीए सरकार ने एक नहीं बल्कि अनेक बार एससी, एसटी, ओबीसी वर्ग को मजबूत बनाने का काम किया है।

जेडीयू के राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा कि आरक्षण के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय का जो फैसला आया है, उसको लेकर पूरा सदन एकमत है। जब पूरा सदन इस विषय पर एकमत है तब इसका राजनीतिकरण ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि जब एससी, एसटी अत्याचार का विषय आया था तब भी एनडीए सरकार ने मजबूत कानून लाने का काम किया था और आगे भी सरकार इस विषय का निपटारा करेगी।