नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने देश की अर्थव्यवस्था को लेकर सरकार पर बड़ा हमला किया है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था के गंभीर संकट को छिपाने के लिए सरकार आंकड़ों का सहारा ले रही है। सरकार के पास खर्च करने के लिए पैसा ही नहीं है।

बजट पर चर्चा की शुरुआत करते हुए चिदंबरम ने कहा कि सरकार पैसा खत्म कर चुकी है। अर्थव्यवस्था से जुड़े आंकड़े विश्वसनीयता खो चुके हैं क्योंकि सरकार उनमें छेड़छाड़ करके संकट को सार्वजनिक होने से रोक रही है। उन्होंने कहा कि सरकार के पास निचले स्तर के कर अधिकारियों को भी नोटिस जारी करने का अधिकार है। इसके बावजूद कंपनी कर, व्यक्तिगत आय कर, कस्टम और जीएसटी जैसे तमाम कर मदों में राजस्व संग्रह में भारी गिरावट आई है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 16.49 लाख करोड़ रुपये शुद्ध कर राजस्व संग्रह का वादा किया था जबकि दिसंबर तक सिर्फ 9 लाख करोड़ रुपये के एकत्रित हो पाए। अब सरकार कहती है कि मार्च तक कर राजस्व 15 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने के बारे में भरोसा किया जाए।

पूर्व वित्त मंत्री ने चालू वित्त वर्ष में व्यय के मोर्चे पर भी खराब प्रदर्शन के लिए सरकार की खिंचाई की। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 27 लाख करोड़ रुपये खर्च का वादा किया था जबकि दिसंबर तक खर्च सिर्फ 11.78 लाख करोड़ रुपये रहा। इस पर सरकार दावा करती है कि मार्च तक खर्च 27 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा।

उन्होंने कई आर्थिक संकेतकों का हवाला देते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था सुस्त होती जा रही है। पिछली छह तिमाहियों के दौरान आर्थिक विकास दर लगातार गिरती दिखाई दी। अब सातवीं तिमाही में भी कोई बेहतरी दिखने वाली नहीं है। जबकि सरकार जल्दी ही अर्थव्यवस्था में सुधार की बात कर रही है।

चिदंबरम ने आर्थिक संकट से निपटने की सरकार की योग्यता पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह सुस्त प्रदर्शन के लिए हर बार पिछली सरकार पर आरोप नहीं लगा सकती है। इसी देश ने 1997, 2008 और 2013 की आर्थिक कठिनाइयों का सफलतापूर्वक सामना किया। उन्होंने कहा कि आर्थिक स्थिति खराब हो सकती है लेकिन सरकार को स्थिति से निपटने का तरीका मालूम होना चाहिए।