नई दिल्ली: देश की नरेंद्र मोदी सरकार भारतीय रेलवे की 500 ट्रेनों और 750 रेलवे स्टेशनों के रख-रखाव को प्राइवेट कंपनियों के हाथों में देने की तैयारी में है। इसके लिए खाका तैयार करने की बात कही जा रही है। सरकार रेलवे के बड़े पैमाने पर निजीकरण की योजना बना रही है। यहां तक की निजी कंपनियों से डिब्बे और इंजन को भी खरीदने की योजना है। कहा जा रहा है कि इस योजना को 2025 तक अमली जामा पहनाया जा सकता है।

टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, इस तरह के प्रस्तावों को नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन में शामिल किया गया है, जिसे अगले पांच वर्षों के लिए तैयार किया गया है। अभी तक रेल मंत्रालय ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि सरकार निजी कंपनियों को 100 चिन्हित मार्गों पर 150 ट्रेन चलाने की अनुमति देना चाहती है।

मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि योग्यता के आधार पर मसौदे में छूट और रियायत समझौते पर प्रतिक्रिया लेने के लिए नीति आयोग और भारतीय रेलवे की वेबसाइटों पर मसौदे को अपलोड किया गया है।

रेल मंत्रालय ने भारतीय रेलवे स्टेशनों डेवेलॉपमेंट निगम लिमिटेड (IRSDC), रेल भूमि विकास प्राधिकरण (RLDA) और अन्य केंद्रीय सरकारी एजेंसियों के माध्यम से रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास को लेकर सरलीकृत प्रक्रियाओं के माध्यम से और लंबे समय तक पट्टे देने के लिए योजना बनाई है।

वहीं, IRSDC और RLDA रेलवे स्टेशनों के सामाजिक-आर्थिक व्यवहार का अध्ययन कर रही है। इस अध्ययन के रिजल्ट के आधार पर इन 750 रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए चरणबद्ध तरीके से कार्य करने की योजना बनाई जा रही है। स्टेशनों को दोबारा इस बात को ध्यान में रखते हुए विकसित किया जाएगा कि सुविधायों के लिहाज से आने जाने वाले यात्रियों को परेशानी न हो और भीड़भाड़ रहित वातावरण रहे।