नई दिल्ली: राम मंदिर निर्माण के लिए बने श्रीराम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का अध्यक्ष रामलला पक्ष की वकालत करने वाले वरिष्ठ वकील के परासरन को बनाया गया है। लेकिन इस फैसले से अयोध्या के साधु-संत बागी हो गए हैं। उनका आरोप है कि ट्र्स्ट में पुराने लोगों को जगह नहीं दी गई है। पुराने लोगों के साथ अन्याय किया गया है और इसलिए वे लोग इसके खिलाफ आवाज उठाएंगे। वहीं मुस्लिम पक्ष भी दूर में जमीन मिलने की वजह से नाराज है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दिगंबर अखाड़े के महंत सुरेश दास ने संतों की एक बैठक बुलाई है। वे कहते हैं, “सरकार ने संतों का अपमान किया है। हमने एक बैठक बुलाई है जिसमें सभी संत शामिल होंगे। बैठक में आगे के कदम पर फैसला लिया जाएगा। जरुरत पड़ने पर आंदोलन करने से भी पीछे नहीं हटेंगे। सीएम योगी ने खुद नृत्य गोपाल दास को शामिल करने की बात कही थी, लेकिन उन्हें भी शामिल नहीं किया। आज शाम 3 बजे बैठक होनी तय हुई है।”

ट्रस्ट के सदस्यों के नाम की घोषणा होने के बाद राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने भी आरोप लगाया कि अयोध्यावासी संत-महंतों का अपमान किया गया है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने राम मंदिर निर्माण के लिए अपना पूरा जीवन कुर्बान कर दिया, उन्हें इस ट्रस्ट में शामिल ही नहीं किया गया। उनकी कहीं पूछ ही नहीं है। वे कहते हैं कि इस ट्रस्ट के माध्यम से अयोध्या के संत-महंतों की अवहेलना की गई है।

महंत नृत्य गोपाल दास के उत्तराधिकारी कमल नयन दास ने भी इस ट्रस्ट को मानने के लिए तैयार नहीं हैं। उनका आरोप है कि ट्रस्ट में वैष्णव समाज के लोगों का अपमान किया गया। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट में शामिल हुए अयोध्या राजपरिवार के विमलेश मोहन प्रताप मिश्रा राजनीतिक व्यक्ति हैं। आखिर उन्हें ट्रस्ट में क्यों शामिल किया गया।