नई दिल्ली: अर्थव्यवस्था के जानकारों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से पेश किए गए बजट 2020 को लेकर यह राय दी है। आर्थिक जानकारों ने कहा कि सरकार ने अपने खर्च में मामूली इजाफा ही किया है, इसके अलावा इनकम टैक्स की कम कटौती भी बहुत ज्यादा उत्साह बढ़ाने वाली नहीं है

यही नहीं जानकारों ने कहा कि सरकार को 2020-21 में अपने वित्तीय घाटे के लक्ष्य को भी तय करने में मुश्किल आ सकती है। ऐसे में उसे वित्तीय संस्थानों और सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी बेचने पर मिलने वाली करीब 30 अरब डॉलर की रकम पर ही निर्भर रहना पड़ सकता है। बता दें शनिवार को पेश किए गए बजट में सरकार ने वित्तीय घाटे के लक्ष्य को कुछ कम किया है। ऐसे में उसके पास करीब 15 अरब डॉलर की रकम अतिरिक्त तौर पर खर्च करने के लिए उपलब्ध होगी।

इस राशि को सरकार मुख्य तौर पर इन्फ्रास्ट्रक्चर और कृषि पर खर्च करना चाहेगी। इसके अलावा निजीकरण के जरिए भी सरकार बड़ी रकम जुटाना चाहेगी। आर्थिक जानकारों और इंडस्ट्री के लीडर्स ने कहा कि इस बजट से लंबे समय में ग्रोथ को कुछ मदद मिलेगी, लेकिन अर्थव्यवस्था में तत्काल इससे कोई सुधार आना मुश्किल दिखता है।

बता दें कि 31 मार्च को समाप्त हो रहे मौजूदा वित्त वर्ष में आर्थिक ग्रोथ के महज 5 फीसदी या उससे भी कम रहनेका अनुमान जताया गया है, जो बीते 11 सालों में सबसे कम है। पहले ही संशोधित नागरिकता कानून के मुद्दे पर दबाव झेल रही सरकार को अब आर्थिक मुद्दे पर भी चुनौतियां का सामना करना पड़ सकता है।

नोमुरा से जुड़ी अर्थशास्त्री सोनल वर्मा ने कहा कि हम इस बजट को ग्रोथ और महंगाई के लिहाज से न्यूट्रल मानते हैं और बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं लगती। इसके अलावा रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा कि बजट में सरकार ने ग्रोथ में कमी की चुनौती को स्वीकार किया है और यह सुस्ती लंबी चल सकती है।