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विभाग बंटवारे पर शिवसेना ने मानी खींचतान की बात

नई दिल्ली: शिवसेना ने राज्य में प्रमुख विभागों के बंटवारे को लेकर गठबंधन की तीनों पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं के बीच खींचतान की बात गुरुवार को स्वीकार करते हुए कहा कि कुछ विधायकों को मंत्री नहीं बनाया जा सका क्योंकि ‘‘संभावितों’’ की सूची बहुत बड़ी थी।

उसने कांग्रेस विधायक संग्राम थोपटे को मंत्री ना बनाए जाने के विरोध में कुछ लोगों द्वारा मंगलवार को पुणे में पार्टी कार्यालय पर हमला किए जाने की भी निंदा की। उसने कहा कि कांग्रेस अकसर शिवसेना के प्रदर्शन को ‘‘गुंडागर्दी’’ करार देती है लेकिन थोपटे के कथित समर्थकों ने जो किया वह भी वही था।

शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के सम्पादकीय में कहा कि यह कांग्रेस की संस्कृति को शोभा नहीं देता। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने करीब एक महीने पुराने अपने मंत्रिमंडल में सोमवार को विस्तार करते हुए अपने 29 वर्षीय बेटे आदित्य ठाकरे समेत 36 मंत्रियों को इसमें शामिल किया था।

शिवसेना ने कहा, ‘‘ मंत्रिमंडल का विस्तार करने की आवश्यकता थी, इसमें देरी हुई लेकिन आखिरकार यह हुआ। जिन लोगों को शामिल नहीं किया गया, वे निराश हैं… पर संभावितों की सूची काफी बड़ी थी।’’ उसने कहा कि विपक्ष (भाजपा) इस पर टीका-टिप्पणी कर रहा है लेकिन देवेन्द्र फड़नवीस नीत पूर्व सरकार में भी मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर ऐसी परेशानियां सामने आई थीं।

उसने कहा, ‘‘ मजबूत और अनुभवी मंत्रिमंडल सत्ता में है और उसे काम करने देना चाहिए।’’ शिवसेना विधायक भास्कर जाधव को मंत्रिमंडल में शामिल ना किए जाने पर उनके ‘‘स्तब्ध’’ होने पर मराठी दैनिक समाचार पत्र ने कहा कि मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने का जाधव सहित किसी को ‘‘वादा नहीं’’ किया गया था।

जाधव राकांपा छोड़कर ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी में शामिल हुए थे। उसने कहा, ‘‘ जाधव ने दावा किया है कि ठाकरे ने उन्हें मंत्री बनाने का वादा किया था। हमें हासिल जानकारी के अनुसार उनसे ऐसा कोई वादा नहीं किया गया था। ठाकरे ने विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें पार्टी में शामिल होने और सरकार का हिस्सा बनने के लिए जरूर पूछा होगा।’’

भाजपा के साथ मुख्यमंत्री पद साझा करने से इनकार करने के बाद शिवसेना ने कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। विभाग के बंटवारे को लेकर विवाद होने की बात कहते हुए शिवसेना ने कहा कि मंत्रिमंडल में शामिल हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को ‘राजस्व’ जैसे विभाग चाहिए, लेकिन यह मंत्रालय अभी कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट के पास है।

कांग्रेस की एक और विधायक प्रणीति शिंदे भी मंत्रिमंडल में शामिल ना किए जाने को लेकर नाराज हैं और उनके समर्थक ने पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी को खून से पत्र भी लिखा था। तीन बार की विधायक के समर्थक ने कहा था कि प्रणीति शिंदे और उनके पिता ने पार्टी के लिए कड़ी मेहनत की है और पार्टी नेतृत्व के प्रति हमेशा वफादार रहे हैं।

शिवसेना ने कहा , ‘‘ उनके पिता गांधी परिवार और कांग्रेस की वजह से ही मुख्यमंत्री और केन्द्रीय मंत्री बनें।’’ सोलापुर से विधायक प्रणीति कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व मुख्यमंत्री एवं केन्द्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे की बेटी हैं।

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