नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने शुक्रवार को अपनी एक ताजा रिपोर्ट में चेताया है कि देश में आर्थिक परिदृश्य में बदलाव के चलते अगले साल बैंकों के एनपीए में और बढ़ोत्तरी होगी। बैंकों की सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (GNPA) का अनुपात सितंबर 2019 के 9.3 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर 2020 में 9.9 प्रतिशत पर पहुंच सकती है। बैंकों का जीएनपीए अनुपात मार्च 2019 में 9.3 प्रतिशत था।

रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को ‘वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट’ में कहा, “वृहद आर्थिक परिस्थितियों में बदलाव, नए एनपीए में मामूली वृद्धि तथा ऋण वृद्धि दर में गिरावट के असर के कारण बैंकों का जीएनपीए अनुपात सितंबर 2020 में बढ़कर 9.9 प्रतिशत पर पहुंच सकता है।” रिजर्व बैंक ने कहा कि इस दौरान सरकारी बैंकों का जीएनपीए अनुपात 12.7 प्रतिशत से बढ़कर 13.2 प्रतिशत पर और निजी बैंकों का जीएनपीए अनुपात 3.9 प्रतिशत से बढ़कर 4.2 प्रतिशत पर पहुंच सकता है। इस दौरान विदेशी बैंकों का जीएनपीए भी 2.9 प्रतिशत से बढ़कर 3.1 प्रतिशत पर पहुंच सकता है।

गौरतलब है कि 6 माह पहले रिजर्व बैंक ने मार्च 2020 में बैड लोन में कमी की बात कही थी, लेकिन ताजा रिपोर्ट में इसके कम होने की बजाय और बढ़ने की बात सामने आयी है। आरबीआई ने अपनी पॉलिसी दरों में इस साल 135 बेसिस पॉइंट की कटौती की है।

रिपोर्ट के अनुसार, बैंकों का शुद्ध एनपीए गिरकर सितंबर 2019 में 3.7 प्रतिशत पर आ गया। यह एनपीए के बदले बढ़ते प्रावधान को बताता है। बैंकों का एकीकृत प्रावधान कवरेज (PCR) अनुपात मार्च 2019 के 60.5 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर 2019 में 61.5 प्रतिशत पर पहुंच गया। बता दें कि एनपीए को लेकर हो सकने वाले घाटे के बदले बैंकों द्वारा अलग रखी जाने वाली राशि के अनुपात को PCR कहा जाता है। इस दौरान सरकारी और निजी दोनों तरह के बैंकों का पीसीआर बढ़ा है।

रिपोर्ट में कहा गया, “सरकारी बैंकों में सरकार द्वारा पूंजी डालने के कारण बैंकों की पूंजी और जोखिम वाली संपत्तियों का अनुपात (सीआरएआर) मार्च 2019 के 14.3 प्रतिशत से सुधरकर सितंबर 2019 में 15.1 प्रतिशत पर पहुंच गया। सरकारी बैंकों का सीआरएआर इस दौरान 12.2 प्रतिशत से सुधरकर 13.5 प्रतिशत पर पहुंच गया।” रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2019 में 24 बैंकों का जीएनपीए अनुपात पांच प्रतिशत से कम रहा जबकि चार बैंकों का जीएनपीए अनुपात 20 प्रतिशत से अधिक रहा।

मौजूदा अवधि के दौरान कृषि तथा सेवा क्षेत्र से संबंधित जीएनपीए अनुपात करीब आठ प्रतिशत से गिरकर 10.1 प्रतिशत पर आ गया। उद्योग क्षेत्र के लिये यह अनुपात करीब पांच प्रतिशत से बेहतर होकर 3.79 प्रतिशत पर पहुंच गया। शीर्ष 100 कर्जदारों का बैंकों के कुल कर्ज में 16.4 प्रतिशत तथा जीएनपीए में 16.3 प्रतिशत हिस्सेदारी रही।