नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हैदराबाद एनकाउंटर मामले में पूर्व जज वीएस सिरपुरकर के नेतृत्व में जांच आयोग का गठन किया है. तीन सदस्यों वाले इस आयोग को छह महीने में रिपोर्ट सौंपनी है. इसके साथ ही हाईकोर्ट और NHRC की जांच पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा कि हम यह नहीं कह रहे हैं कि पुलिस दोषी है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि आपका इस घटना से क्या संबंध है. आपने सुप्रीम कोर्ट में याचिका क्यों दाखिल की? क्या आप हैदराबाद से हैं? इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि मैं तमिलनाडु से हूं.

सुनवाई के दौरान सीजेआई एसए बोबडे ने तेलंगाना सरकार की ओर से पेश हुए वकील मुकुल रोहतगी से पूछा कि किसी को भी तथ्यों का नहीं पता? इस पर वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि हमें पता है. चारों को टोल प्लाजा के सीसीटीवी से पहचाना गया. चारों को गिरफ्तार किया गया. थाने के बाहर लोगों की भीड जुटी. चारों को मोबाइल व अन्य सामान बरामद करने के लिए मौके पर ले जाना था, लेकिन लोगों की भीड़ जुटने की वजह से रात में ले जाना पड़ा.

वकील मुकुल रोहतगी ने आगे बताया कि दो रिवाल्वर उन्होंने छीन ली और लोहे की रॉड, डंडे और पत्थरों से हमला कर दिया. फिर CJI ने सवाल किया कि क्या उन्होंने पिस्तौल छीनी? क्या मेडिकल रिकार्ड है? फिर वकील ने कहा, जवाब में पुलिस को गोली चलानी पड़ी. CJI का अगला सवाल था कि किस रैंक के अफसर मौके पर थे? जिस पर मुकुल ने कहा कि एसीपी, SI समेत दस पुलिस वाले थे.

सीजेआई ने पूछा कि उन्होंने पिस्तौल से पुलिस पर फायर किया? क्या पुलिस वाले को गोली लगी? इस पर वकील ने कहा कि नहीं दो पुलिस वाले पत्थर डंडे से जख्मी हुए. सीजेआई ने आगे पूछा कि क्या पिस्तौल की गोली बरामद हुए? इस पर वकील ने जवाब हां में दिया. उन्होंने कहा कि एक दूधवाले ने अपराध देखा था, उसने लड़की को जलते हुए देखा. पुलिस को सूचना दी. कोई भी कह सकता है कि ये फर्जी मुठभेड़ है.

CJI ने कहा कि हम मुठभेड़ की जांच कराने की राय रखते हैं. इस मामले में कुछ तथ्यों की जांच जरूरी है. फिर वकील मुकुल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक जांच हो रही है. पुलिस कमिश्नर जो IPS अफसर हैं व अन्य अफसरों की SIT जांच कर रही है.