विपक्ष ने किया कड़ा विरोध, बताया संविधान की मूल भावना के खिलाफ

नई दिल्ली: तीन तलाक और अनुच्छेद 370 के बाद अब संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर घमासान देखने को मिल रहा है। सोमवार को भारी हंगामे के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने वाला विधेयक लोकसभा में पेश किया। कहा जा रहा है कि इसके बाद मंगलवार को राज्यसभा में इसे पेश किया जाएगा। एक ओर इस बिल को सरकार अनुच्छेद 370 जैसा अहम बता रही है तो कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताते हुए इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं।

सदन में नागरिकता संशोधन बिल पेश होते ही हंगामा हो गया। कांग्रेस, टीएमसी सहित कुछ विपक्षी पार्टियों ने इस बिल के पेश होने का ही विरोध किया। कांग्रेस का कहना है कि इस बिल का पेश होना ही संविधान के खिलाफ है। जब केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने लोकसभा में नागरिकता बिल को पेश किया, उसके बाद इसपर अधीर रंजन चौधरी ने विरोध जताया। जिस पर जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि ये बिल कहीं पर भी इस देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है। इसके बाद लोकसभा में नागरिकता बिल पेश पेश होने के लिए जो वोटिंग हुई उसमें 293 हां के पक्ष में और 82 विरोध में वोट पड़े। लोकसभा में इस दौरान कुल 375 सांसदों ने वोट किया।

कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि इस बिल के पेश होने से संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन किया गया है, लेकिन अमित शाह ने कहा कि इस बिल के आने से अल्पसंख्यकों पर कोई असर नहीं होगा। ये बिल अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है। वहीं एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सेक्युलिरिज्म इस मुल्क का हिस्सा है, ये एक्ट फंडामेंटल राइट का उल्लंघन करता है। यह बिल लाकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन हो रहा है।

गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि ऐसा नहीं है कि पहली बार सरकार नागरिकता के लिए कुछ कर रही है। कुछ सदस्यों को लगता है कि समानता का आधार इससे आहत होता है। इंदिरा गांधी ने बांग्लादेश से आए लोगों को नागिरकता देने का निर्णय किया। पाकिस्तान से आए लोगों को नागरिकता फिर क्यों नहीं दी गई। अनुच्छेद 14 की ही बात है तो केवल बांग्लादेश से आने वालों को क्यों नागरिकता दी गई। समानता के आधिकार के कानून दुनियाभर में है। क्या आप वहां जाकर नागरिकता ले सकते हैं? वो ग्रीन कार्ड देते हैं, निवेश करने वालों, रिसर्च और डिवेलपमेंट करने वालों को देते हैं। रिजनेबल क्लासिफिकेशन के आधार पर ही वहां भी नागरिकता दी जाती है।

लोकसभा में 303 सांसदों के साथ बहुमत वाली भाजपा के लिए निचले सदन में इस विधेयक को पारित कराना आसान है। हालांकि राज्यसभा में इस बिल को मंजूरी दिलाने के लिए उसे जद्दोजहद करनी पड़ेगी। क्योंकि कांग्रेस ने घोषणा की है कि यह बिल देश के संविधान की मूल भावना और धर्मनिरपेक्ष चरित्र के खिलाफ है।

कांग्रेस संसद में नागरिकता (संशोधन) विधेयक का पुरजोर विरोध कर रही है। लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि यह विधेयक देश के संविधान और पार्टी के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ है। लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने रविवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के 10 जनपथ आवास पर कांग्रेस संसदीय रणनीतिक समूह की बैठक के बाद यह बयान दिया। चौधरी के अलावा राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, लोकसभा में मुख्य सचेतक कोडिकुन्नील सुरेश और सचेतक गौरव गोगोई सहित अन्य ने बैठक में हिस्सा लिया। चौधरी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम संसद में नागरिकता (संशोधन) विधेयक का विरोध करेंगे क्योंकि यह हमारे संविधान, धर्मनिरपेक्ष मूल्यों और संस्कृति के विरूद्ध है।’’