भारतेंदु नाट्य अकादमी में सैकड़ों सामाजिक कार्यकर्ताओं का जमावड़ा

लखनऊ: आज सुबह 10 बजे से ही पूरे देश के विभिन्न हिस्सों से लगभग 200 सामाजिक कार्यकर्ता लखनऊ के भारतेंदु नाट्य अकादेमी सभागार में एकत्र हुए।ये मौका था लखनऊ में आयोजित हुए "हमारी पहल -हमारा दखल" कार्यक्रम का जो मानवाधिकार दिवस के अवसर पर 9-10 दिसम्बर को सम्पन्न हो रहा है।
कार्यक्रम की शुरुवात मैग्सेसे सम्मान प्राप्त देश के चर्चित एक्टिविस्ट विल्सन बैजवाड़ा द्वारा रिबन काट कर की गई, इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ताओं के संघर्षों पर आधारित एक फोटो प्रदर्शनी भी लगाई गई।

समारोह में स्वागत करते हुए ऑक्सफेम के रीजनल मैनेजर नंद किशोर सिंह ने बताया कि ये कार्यक्रम गैर बराबरी के खिलाफ संघर्षरत नागरिकों के सम्मान पर आधारित है जो उनकी आगे की यात्रा की दिशा और सहयोग की ज़मीन भी तैयार करेगा।

दिल्ली से आये मिर्ज़ा फ़िरोज़ ने इसके बारे में विस्तार से बताया कि कई प्रदेशों में सामाजिक संगठनों और उनके माध्यम से जुड़े एक्टिविस्ट के साथ ये सफर यहां तक पहुंचा है। दिल्ली, छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तर प्रदेश जैसे कई प्रदेशों के लोग आज इकट्ठा हुए हैं कि कल का रास्ता क्या और कैसे तय होगा। हमे संविधान की रोशनी में आगे बढ़ना होगा।

मैग्सेसे सम्मान प्राप्त विल्सन बैजवाड़ा ने कहा कि देश को बदलना किसी और दिशा में था मगर किसी और दिशा में मोड़ा जा रहा है, दलितों ,अल्पसंख्यकों, आदिवासियों पर हमले बढ़े हैं और उन्हें हाशिये पर धकेला जा रहा है, ऐसे में एकजुट होकर बोलने और संघर्ष करने की ज़रूरत है। और ये याद रखना चाहिए कि कोई भी सामाजिक कार्यकर्ता अराजनैतिक हो ही नही सकता क्योंकि पॉलिटिक्स ही हमे कंट्रोल करती है तो उसे बदलना भी हमे सीखना होगा।

इसके बाद थियेटर और मल्टीमीडिया का सेशन शुरू हुआ जिसमें "आज़ादी के बहत्तर साल, बहत्तर किस्से बहत्तर सवाल " के माध्यम से कलाकारों ने जीवन की विभिन्न समस्याएं खास तौर पर एक अल्पसंख्यक,दलित, आदिवासी, और स्त्री की निगाह से दुनिया मे कैसे भेदभाव हैं वो दिखाया..साथ ही दुनिया के बनने की वैज्ञानिक कहानी ..इतिहास से वर्तमान तक का समूचा सफर, आज़ादी के आंदोलन से लेकर आरक्षण तक के हर पहलू को तार्किक और रोचक तरीके से दिखाया गया। नाटक में अनन्या गुप्ता ने लैंगिक भेदभाव के खिलाफ शानदार कथक प्रस्तुतियां भी दीं और शुभम तिवारी के निर्देशन में संविधान नाटक प्रस्तुत किया।

नाटक के कलाकारों में सचिन, अनुज,गोधूलि, रमेश ,संहिता,शाहरुख, हर्षित सहित कई कलाकार शामिल थे। निर्देशन विनय और भारतेंदु और लेखन दीपक कबीर का था।

सांस्क्रतिक कार्यक्रम के बाद राज्यवार समूह चर्चा हुई कि भविष्य के रास्ते कैसे तलाशें जाएं । अंत मे कार्यक्रम को उत्तर प्रदेश की ममता , ओडिसा से जयंत , रानी ,बिनोद आदि ने संबोधित किया अनन्या के ""छाप तिलक सब छीनी " वाले गीत पर हुई कथक परफार्मेंस से कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यक्रम का संचालन दस्तक के दीपक कबीर ने किया