नई दिल्ली: अर्थव्यवस्था की सुस्ती और बढ़ती बेरोजगारी से घिरी मोदी सरकार के लिए जीडीपी के ताजा आंकड़ों ने नई परेशानी खड़ी कर दी है। जीडीपी ग्रोथ रेट पिछले सात साल के सबसे निचले स्तर पर गिरकर चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 4.5 फीसदी पर आ गई है। चिंता की बात यह है कि अर्थव्यवस्था की सेहत बताने वाले सभी प्रमुख सूचकांक बिगड़ती स्थिति को बयां कर रहे हैं। नए आंकड़े आने के बाद, पहले से लगातार हमला कर रहे विपक्ष ने उस पर तीखा हमला कर दिया है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि बहुत ही बुरे हालात में अर्थव्यवस्था पहुंच गई है। इस स्थिति से सामाजिक ताना-बना भी बिखर जाएगा।

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने इसे बेहद चिंताजनक करार देते हुए कहा है कि विश्वास का हमारा सामाजिक ताना-बाना अब फट गया है। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारी अर्थव्यवस्था की स्थिति गहरी चिंताजनक है, लेकिन मैं तर्क दूंगा कि हमारे समाज की स्थिति और भी चिंताजनक है।” उन्होंने कहा कि आज जारी जीडीपी के आंकड़े 4.5% तक कम हैं। यह स्पष्ट रूप से अस्वीकार्य है। हमारे देश की आकांक्षा 8-9% की दर से बढ़ना है। Q1 में Q1 में सकल घरेलू उत्पाद का 5% से 4.5% तक की तीव्र गिरावट चिंताजनक है। आर्थिक नीतियों में बदलाव से अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में मदद नहीं मिलेगी। पूर्व पीएम ने कहा, “अर्थव्यवस्था की स्थिति अपने समाज की स्थिति का प्रतिबिंब है। अब विश्वास का हमारा सामाजिक ताना-बाना अब फट गया है।

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि देश की जीडीपी 4.5% तक आ गई है। पिछले 6 साल में ये सबसे कम है। लेकिन बीजेपी किस बात का जश्न मना रही है, क्योंकि उनकी जीडीपी (गोडसे डिवाइसिव पॉलिटिक्स) डबल डिजिट ग्रोथ बताती है।

कांग्रेस ने इस गिरावट पर सरकार पर हमला बोलते हुए ट्वीट किया कि जीडीपी 26वें तिमाही में 4.5 फीसदी तक गिर गई है। बीजेपी हर दिन (नैतिकता, शासन और आंकड़ों) गिरने का रिकॉर्ड बना रही है। कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने जीडीपी के आंकड़ों पर कहा कि जिसका डर था उससे भी बदतर नंबर आए हैं। दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि का दर मात्र 4.5% है। भारत तीव्र आर्थिक मंदी के बीच में है और संकट गहरा गया है।